Edited By PTI News Agency,Updated: 20 May, 2023 08:19 PM
बेंगलुरु, 20 मई (भाषा) कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत के एक सप्ताह बाद शनिवार को सिद्धरमैया के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो गया। सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनके साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी...
बेंगलुरु, 20 मई (भाषा) कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत के एक सप्ताह बाद शनिवार को सिद्धरमैया के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो गया। सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनके साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने भी शपथ ग्रहण की, जो उप मुख्यमंत्री बने हैं।
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर, एम बी पाटिल, प्रियंक खरगे, वरिष्ठ नेता के एच मुनियप्पा, के जे जॉर्ज, सतीश जार्कीहोली, रामालिंगा रेड्डी और बी जेड जमीर अहमद खान ने मंत्री पद की शपथ ली। प्रियंक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र हैं।
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने लोगों से खचाखच भरे श्री कांतीरवा स्टेडियम में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धरमैया, शिवकुमार और अन्य नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। देश के कई प्रमुख विपक्षी नेताओं ने इस समारोह में शिरकत की और यहां से विपक्षी एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया गया।
शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव में दी गई पांच ‘गारंटी’ को लागू करने को ‘सैद्धांतिक ’मंजूरी प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि शुरुआती अनुमानों से संकेत मिलता है कि पांचों गारंटी पर सरकारी खजाने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘इस पर सहमति बन गई है। हम (वादों से) पीछे नहीं हटेंगे।’’
सिद्धरमैया ने यह भी बताया कि 22 मई से तीन दिन के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा। इस दौरान नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।
शपथ ग्रहण के बाद उप मुख्यमंत्री शिवकुमार जब ‘विधान सौध’ (विधान भवन) पहुंचे, तो सम्मान में दंडवत होकर प्रणाम किया।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सबकी निगाहें मंच पर इसलिए बार-बार जा रही थीं कि वहां देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता और विपक्ष शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। वे एक दूसरे से बड़ी गर्मजोशी से मिल रहे थे।
विपक्षी नेताओं ने एक दूसरे का हाथ पकड़कर विजयी मुद्रा में ऊपर उठाया और एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की। कुछ ऐसा ही दृश्य पांच साल पहले बेंगलुरु में एच डी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भी देखने को मिला था।
शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार, बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं राजद नेता तेजस्वी यादव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक नेता एम के स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और शिवसेना (यूबीटी) से अनिल देसाई एवं प्रियंका चतुर्वेदी ने इस समारोह में हिस्सा लिया।
वामपंथी दलों के प्रमुख नेता भी इस शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा और भाकपा (माले) के प्रमुख दीपांकर भट्टाचार्य ने भी इस समारोह में भाग लिया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से सांसद काकोली घोष दस्तीदार को भेजा था। समाजवादी पार्टी का कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हुआ।
कांग्रेस ने दक्षिण भारत के इस महत्वपूर्ण राज्य में सरकार गठन में सामाजिक समीकरण को साधने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उप मुख्यमंत्री शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं।
वहीं, परमेश्वर, मुनियप्पा और प्रियंक दलित समुदाय से संबंध रखते हैं, जबकि एम बी पाटिल लिंगायत समुदाय से आते हैं। खान मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और जॉर्ज का संबंध ईसाई समुदाय से है। जार्कीहोली अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं, जबकि रामालिंगा रेड्डी का संबंध रेड्डी जाति से है।
कर्नाटक मंत्रिमंडल में मंत्रियों की स्वीकृत संख्या 34 है। फिलहाल मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री समेत कुल 10 सदस्य हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
शपथ ग्रहण के बाद खरगे ने कहा, ‘‘हमने जो कहा है, उसे पूरा करेंगे, हम सभी पांच ‘गारंटी’ लागू करेंगे।’’
राहुल गांधी ने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक में कांग्रेस की ओर से दी गई पांचों ‘गारंटी’ कानून का रूप ले लेंगी। उन्होंने जनता से साफ-सुथरी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया।
कर्नाटक के कद्दावर ओबीसी नेता 75 वर्षीय सिद्धरमैया इससे पहले मई 2013 से मई 2018 के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कभी जनता दल और जनता दल (सेक्युलर) का हिस्सा रहे सिद्धरमैया दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं। पिछली विधानसभा में वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे थे।
वहीं, कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले 61 वर्षीय शिवकुमार पिछले लगभग तीन वर्षों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वह प्रदेश में कांग्रेस की पिछली कुछ सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।
कांग्रेस विधायक दल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में सिद्धरमैया को औपचारिक रूप से नेता चुना गया था, जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीट अपने नाम की थीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा नीत जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमश: 66 और 19 सीट हासिल की थीं।
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