Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 04:41 PM
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने के चलते विरोध का सामना कर रहे ट्रंप के खिलाफ उन्हीं के अधिकारियोें ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
वॉशिंगटनः अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने के चलते विरोध का सामना कर रहे ट्रंप के खिलाफ उन्हीं के अधिकारियोें ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। पनामा में अमरीका के राजदूत जॉन फीली ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह ट्रंप के साथ काम करने में असमर्थ हैं। जॉन नौसेना में रह चुके हैं। उनकी इस घोषणा से ट्रंप सरकार सकते में है।
जॉन वर्ष 2016 से पनामा के राजदूत का पद संभाल रहे थे। मालूम हो कि राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद ट्रंप ने कई देशों के राजदूतों को बदल दिया था। जॉन ने अपने बयान में ट्रंप सरकार की नीतियों के प्रति असहमति के संकेत दिए हैं। वहीं, अमरीकी सरकार ने बयान जारी कर इस मसले पर सफाई दी है। जॉन फीली 9 मार्च को रिटायर होने वाले थे। लेकिन, उससे एक-डेढ़ महीने पहले ही इस्तीफा देना चौंकाने वाला है।
फीली ने अपने त्यागपत्र में लिखा, ‘विदेशी सेवा का एक जूनियर अधिकारी होने के नाते मैंने राष्ट्रपति और उनकी सरकार की सेवा करने का शपथ लिया था। फिर चाहे मैं उनके किसी खास नीति से असहमत ही क्यों न रहूं। मुझे स्पष्ट कर दिया गया था कि यदि मुझे लगता है कि मैं वैसा न कर सकूं तो मैं इस्तीफा दे सकता हूं और अब वह समय आ गया है।’
अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने भी जॉन फीली के इस्तीफे की पुष्टि कर दी है। उन्होंने कहा, ‘जॉन ने व्हाइट हाउस, विदेश विभाग और पनामा सरकार को इसकी सूचना दे दी है।’ उपविदेश मंत्री स्टीव गोल्डस्टीन ने जॉन द्वारा ट्रंप के कारण इस्तीफा देने की बातों को खारिज किया है। मालूम हो कि ट्रंप ने गुरुवार (11 जनवरी) को हैती और अफ्रीकी देशों को बहुत ही गंदा स्थान करार दिया था।