Edited By ,Updated: 15 Jul, 2016 08:30 AM
आज आषाढ़ मास की एकादशी तिथि है। इसे हरिशयनी, देवशयनी, पदमा एवं शयन एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है
आज आषाढ़ मास की एकादशी तिथि है। इसे हरिशयनी, देवशयनी, पदमा एवं शयन एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है तथा नदियों में गंगा को जो स्थान प्राप्त है वही स्थान व्रतों में एकादशी को प्राप्त है। कहा जाता है कि जिसकी कोई कामना किसी भी कारण वश पूरी न हो रही हो वह एकादशी का व्रत सच्चे मन से करें तो उसकी कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती।
एकादशी पर किए गए व्रत, दान, पूजा आदि का विशिष्ट महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, एकादशी की रात अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। एकादशी की रात जागरण करके हरी नाम संकीर्तन करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। हरि कृपा के लिए कुछ ऐसे काम हैं जिनसे दिन-रात दूर रहना चाहिए।
न करें ये काम
* जुआ खेलने वाले का घर-परिवार कभी बस नहीं सकता। वैसे तो इसे कभी खेलना नहीं चाहिए लेकिन एकादशी तिथि पर स्वयं पर नियंत्रण रखें और यह खेल न खेलें।
* पान नहीं खाना चाहिए इससे रजोगुण में बढ़ौतरी होती है। किसी को भेंट भी न करें।
* दातुन, मंजन, टूथ पेस्ट का प्रयोग न करें।
* निंदा, चुगली करने से बचें।
* किसी की बुराई न करें बल्कि उसके सद्गुणों की ओर ध्यान दें।
* चोरी करने से इस लोक में ही नहीं परलोक में भी दुख भोगना पड़ता है। इस बुरी आदत से एकादशी वाले दिन ही नहीं बल्कि सदा दूर रहें।
* हिंसा से दूर रहें, मन में बुरे भाव आते हैं।
* संभोग न करें। ब्रह्मचार्य का पालन करें।
* क्रोध न करें, संयम से काम लें।
* झूठ नहीं बोलना चाहिए। एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं।