एकनाथ शिंदे : ऑटो चालक से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

Edited By PTI News Agency,Updated: 30 Jun, 2022 09:30 PM

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मुंबई, 30 जून (भाषा) महाराष्ट्र के 20 वें मुख्यमंत्री एकनाथ संभाजी शिंदे शिवसेना के एक मजबूत नेता के रूप में उभर कर शीर्ष पद को हासिल कर चुके हैं लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत की है। जमीन से जुड़े शिंदे...

मुंबई, 30 जून (भाषा) महाराष्ट्र के 20 वें मुख्यमंत्री एकनाथ संभाजी शिंदे शिवसेना के एक मजबूत नेता के रूप में उभर कर शीर्ष पद को हासिल कर चुके हैं लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत की है। जमीन से जुड़े शिंदे अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत से पूर्व रोजी रोटी कमाने के लिए आटो रिक्शा चलाते थे।
शिंदे ने शिवसेना में एक कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की और वह अपने संगठनात्मक कौशल तथा जनसमर्थन के बल पर शिवसेना के शीर्ष नेताओं में शुमार हो गए।

कभी मुंबई से सटे ठाणे शहर में ऑटो चालक के रूप में काम करने वाले 58 वर्षीय शिंदे ने राजनीति में कदम रखने के बाद बेहद कम समय में ठाणे-पालघर क्षेत्र में शिवसेना के प्रमुख नेता के तौर पर अपनी पहचान बनायी। उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाने के लिए पहचाना जाता है।

चार बार के विधायक रहे शिंदे, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। वह राज्य की राजनीति में अपनी सफलता का श्रेय अक्सर पार्टी संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को देते रहे हैं।

नौ फरवरी 1964 को जन्मे शिंदे ने स्नातक की शिक्षा पूरी होने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी और राज्य में उभर रही शिवसेना में शामिल हो गए। मूलरूप से पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले से ताल्लुक रखने वाले शिंदे ने ठाणे जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया।

पार्टी की हिंदुत्ववादी विचारधारा और बाल ठाकरे के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर शिंदे ने शिवसेना का दामन थाम लिया।

वह कहते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी तरक्की के लिए वह शिवसेना और इसके संस्थापक, दिवंगत बाल ठाकरे के ऋणी हैं।

शिवसेना में शामिल होने के बाद उन्हें पार्टी के मजबूत नेता आनंद दिघे का मार्गदर्शक मिला। 2001 में दीघे की आकस्मिक मृत्यु के बाद उन्होंने ठाणे-पालघर क्षेत्र में पार्टी को मजबूत किया।

ठाणे शहर की कोपरी-पचपखाड़ी सीट से विधायक शिंदे सड़कों पर उतरकर राजनीति करने के लिए पहचाने जाते हैं और उन पर हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाने और दंगा करने समेत विभिन्न आरोपों में दर्जनों मामले दर्ज हैं।
शिंदे 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए थे और इसके बाद वह 2004 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने। 2005 में उन्हें शिवसेना का ठाणे जिला प्रमुख बनाया गया । शिंदे के कद का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि उन्हें पार्टी में दूसरे सबसे प्रमुख नेता के रूप में देखा जाता है।

शिंदे के बेटे डॉ श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट से लोकसभा सदस्य हैं। शिंदे को 2014 में संक्षिप्त अवधि के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी नियुक्त किया गया था। बाद में शिवसेना, भाजपा नीत सरकार में शामिल हो गई थी।

शिंदे के भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडण‍वीस के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान, राकांपा के पास स्वास्थ्य मंत्रालय होने के बावजूद, शिंदे-नियंत्रित महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए मुंबई और उसके उपनगरों में स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए।

शिंदे को नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले (ठाणे के साथ) का संरक्षक मंत्री बनाया गया था। माना गया कि उन्हें नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया गया।
शिंदे, हालांकि, एक प्रमुख शिवसेना नेता बने रहे, क्योंकि उन्होंने अपना खुद का एक मजबूत समर्थन आधार विकसित किया था। वह पार्टी कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के लिए हमेशा उपलब्ध रहने के लिए जाने जाते हैं, और अक्सर पार्टी के साधारण कार्यकर्ताओं के घरों में जाते हैं। शिवसेना के अधिकांश विधायकों को अपने साथ ले जाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद, शिंदे की अगली चुनौती उद्धव ठाकरे और उनके वफादारों से पार्टी संगठन की कमान अपने हाथों में लेने की होगी।



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