रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया

Edited By PTI News Agency,Updated: 06 Jul, 2022 09:40 PM

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मुंबई, छह जुलाई (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा प्रवाह से संबंधित मानकों को उदार बनाने के साथ ईसीबी (विदेशों से वाणिज्यिक उधारी) मार्ग के तहत...

मुंबई, छह जुलाई (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा प्रवाह से संबंधित मानकों को उदार बनाने के साथ ईसीबी (विदेशों से वाणिज्यिक उधारी) मार्ग के तहत बाह्य उधारी सीमा दोगुनी कर दी।

आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को 593.3 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है।’’
इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है।

ईसीबी व्यवस्था के तहत सभी तरह की लागत की सीमा को भी एक प्रतिशत अंक बढ़ाया जा रहा है, बशर्ते कि उधारकर्ता निवेश स्तर की रेटिंग रखता हो। यह व्यवस्था 31 दिसंबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

रिजर्व बैंक ने यह कदम चालू वित्त वर्ष में अबतक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ चुकी 4.1 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए उठाया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि रुपये में आई यह गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भी तुलना में ठीक है।

आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में तरलता की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में डॉलर की तंगी को दूर करने के लिए अपने सभी खंडों में जरूरत पड़ने पर उसने दखल दिया है। यह कदम बाजार के व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

रिजर्व बैंक के नए कदमों के तहत प्रवासी भारतीयों की विदेशी जमाओं पर बैंकों की तरफ से दी जाने वाली ब्याज दर की सीमा फिलहाल हटा ली गई है। यह छूट अक्टूबर के महीने तक लागू रहेगी।

आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि एनआरई जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज दरें समरूप घरेलू रुपये सावधि जमाओं पर दी जा रही ब्याज दर से अधिक नहीं होंगी। बैंकों को एनआरई सावधि जमाओं पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) संबंधी प्रावधानों से भी रियायत दी गई है।

इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड में निवेश को आकर्षित करने के लिए भी कुछ अहम कदमों की घोषणा की। उसने सात साल एवं 14 वर्ष की अवधि वाली नई-पुरानी सभी सरकारी प्रतिभूतियों को पूर्ण सुगम्य मार्ग (एफएआर) के तहत विशिष्ट प्रतिभूति का दर्जा देने का फैसला किया है।

एक अन्य राहत सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट ऋण में एफपीआई निवेश के लिए अधिक कारगर अल्पावधि सीमा मानकों के संदर्भ में दी गई है। अक्टूबर, 2015 में लागू हुए ये मानक 31 अक्टूबर तक लागू नहीं होंगे।
आरबीआई ने यह भी कहा कि एफपीआई सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड जैसे निवेश साधनों की परिपक्वता अवधि बीतने और बिक्री के बाद भी निवेश जारी रख सकते हैं।

इसके साथ ही आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार तक सीधी पहुंच नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं के बड़े समूह को विदेशी मुद्रा उधार लेने की सुविधा भी मुहैया कराई है। ऐसी उधारी जुटाने की छूट भी 31 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।


भाषा प्रेम






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