बदनामी का डर न हो तो संसार में पापों की संख्या कई गुना बढ़ जाए

Edited By ,Updated: 03 Nov, 2015 04:02 PM

anmol vachan

* काम से ज्यादा काम के पीछे की भावना का महत्व होता है। जो काम शुद्ध हृदय से होता है, देखने में छोटा भले ही हो परंतु उसका फल बड़ा ही

* काम से ज्यादा काम के पीछे की भावना का महत्व होता है। जो काम शुद्ध हृदय से होता है, देखने में छोटा भले ही हो परंतु उसका फल बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। बड़े से बड़ा काम अगर हीन आदर्श लेकर किया जाए तो उसकी कोई बड़ी कीमत नहीं हो सकती।

* हम बुराई से नहीं डरते जितना बदनामी से डरते हैं। बदनामी का डर न हो तो संसार में पापों की संख्या कई गुना बढ़ जाए।

* जीवन में मनुष्य का जहां भावों से संबंध रहता है वहां तर्क और न्याय से काम नहीं चलता।

* भाव की एकाग्रता अंतश्चेतना का वह द्वार खोलती है जिसमें सत्य सार्थक होकर बसता है।

* कोई भी चीज मूलत: न तो भली होती है और न ही बुरी। हमारा भाव उसे वैसा बना देता है।

* सत्य का सबसे बड़ा मित्र है समय। इसका सबसे बड़ा शत्रु है पक्षपात। इसका अचल साथी एक है और वह है नम्रता।

* सत्य कभी अपना स्वरूप नहीं बिगाड़ता। वह अंत तक सत्य ही बना रहता है।

* सत्य का उल्लंघन करने का अर्थ है आप मानव समाज के स्वास्थ्य में छुरी घोंप रहे हैं।

* जिस तरह सूर्य की किरणें किसी पदार्थ से अपवित्र नहीं की जा सकतीं, उसी प्रकार सत्य को भी बाह्य स्पर्श से अपवित्र करना असंभव है।

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