Edited By ,Updated: 09 Apr, 2016 01:53 PM
समय गतिशील है वह जैसे-जैसे व्यतीत होता है वैसे-वैसे उसमें परिवर्तन होता चला जाता है। प्राचीनकाल से लेकर अब तक जीवन शैली में तो बदलाव आया लेकिन खाना-पीना तो पूरी तरह से बदल गया है। भोजन जीवन की मूलभूत अवश्यकता है। शास्त्र कहते हैं जीवन के लिए भोजन
समय गतिशील है वह जैसे-जैसे व्यतीत होता है वैसे-वैसे उसमें परिवर्तन होता चला जाता है। प्राचीनकाल से लेकर अब तक जीवन शैली में तो बदलाव आया लेकिन खाना-पीना तो पूरी तरह से बदल गया है। भोजन जीवन की मूलभूत अवश्यकता है। शास्त्र कहते हैं जीवन के लिए भोजन अवश्यक है न कि भोजन के लिए जीवन। स्वाद के वशीभूत हो हम कभी-कभी अनावश्यक हानिकारक वस्तुएं खा लेते हैं जो हमारे स्वस्थ्य को तो प्रभावित करती ही हैं साथ ही ऐसा करना भोजन का अनादर करना है। भोजन को प्रसाद की भांति खाना चाहिए। अधिक खाना और न खाना दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
आयुर्वेद और आध्यात्मिक ग्रंथों में स्वस्थ और सुखी जीवन जीने का उपदेश दिया गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि रात को भोजन में कैसी चीजों से परहेज रखना चाहिए। जिससे की पाचनतंत्र सही ढग से काम करे। भारी पदार्थों का सेवन रात को नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य को हानि होती है।
कहते हैं शास्त्र, रात को इन चीजों से परहेज रखें
* तेज मिर्च-मसाले
* मीठे पदार्थ
* पिज्जा
* मांसाहार
* पास्ता
* फाइबर वाली सब्जियां
* प्याज
* कैफीन वाले पदार्थ
* डार्क चाॅकलेट
* नूडल्स
* चिप्स
* स्नैक्स