एेसी होनी चाहिए दोस्ती

Edited By ,Updated: 01 Aug, 2015 05:55 PM

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दोस्त हमारे दिल के सबसे करीब होते हैं । उनमें से कुछ तो उम्र भर हमारे साथ चलते हैं और कुछ जीवन की आपाधापी में पीछे छूट जाते हैं ।यदि किसी से उसके सबसे प्यारे रिश्ते के बारे में पूछा जाए तो उसका यही जवाब होगा कि जिंदगी में दोस्त के लिए जो खास जगह...

दोस्त हमारे दिल के सबसे करीब होते हैं । उनमें से कुछ तो उम्र भर हमारे साथ चलते हैं और कुछ जीवन की आपाधापी में पीछे छूट जाते हैं ।यदि किसी से उसके सबसे प्यारे रिश्ते के बारे में पूछा जाए तो उसका यही जवाब होगा कि जिंदगी में दोस्त के लिए जो खास जगह होती है, उसे कोई पूरा नहीं कर सकता ।

यह एक ऐसा रिश्ता है जो प्लीज, सॉरी, थैंक्यू जैसी औपचारिकताओं से दूर सिर्फ समर्पण भाव से विकसित होता है। हम यदि किसी को अपना दोस्त चुनते हैं, धर्म, जाति या अमीरी-गरीबी को देख कर नहीं चुनते दिल से उसको गुणों-अवगुणों के साथ स्वीकार करते हैं । जिन लोगों में सोचने-समझने और परिस्थितियों से निपटने का तरीका एक जैसा होता है, अक्सर वे दोस्त बन जाते हैं । यदि दोस्ती सच्ची हो तो दो लोगों की विचारधारा ऐसी बन जाती है कि वे बिना कहे एक-दूसरे की बात समझ लेते हैं ।

आज जब हमें जॉब या पढ़ाई की खातिर परिवार से दूर जाना पड़ता है तो परिवार साथ न होने पर दोस्तों का ही सहारा होता है । दोस्ती में इतनी सहजता होती है कि हम बिना किसी संकोच के दोस्त से सहायता मांग सकते हैं ।

हम खुद भी बिना किसी शर्त के अपने दोस्त की मदद को तैयार रहते हैं । दोस्ती में औपचारिकता के लिए कोई स्थान नहीं होता। दोस्ती का रिश्ता ‘शेयरिंग’ और ‘केयरिंग’ वाला होता है क्योंकि दोस्त हमारी भावनाओं को अच्छे से समझता है । दोस्त पर हमें पूरा विश्वास होता है । हमारे बुजुर्ग भी अक्सर कहते हैं कि रिश्तेदार काम आएं या न आएं लेकिन दोस्त हमेशा साथ निभाते हैं ।

शेयरिंग से गहराती है दोस्ती

टूथपेस्ट, कपड़े, किताबों से लेकर भावनाओं तक को शेयर करने वाले युवाओं की जिन्दगी शेयरिंग के बिना एक कदम भी आगे नहीं चलती । शेयरिंग अर्थात जो तेरा है वह मेरा है, से ‘मैं’ से उठ कर ‘हम’ की भावना विकसित होती है और दोस्ती का मजा दोगुना हो जाता है । दोस्ती निभाने के लिए विश्वास की बहुत अहमियत होती है और जिस दिन विश्वास की जीत होती है दोस्त खुद-ब-खुद बन जाते हैं । दोस्ती की भी कुछ अपेक्षाएं होती हैं और वे हैं-प्यार और सम्मान । 

ऐसी हो दोस्ती

आपकी दोस्ती ऐसी होनी चाहिए कि-

- जीवन में कभी मुश्किल हालात पैदा हो जाएं तो सच्चे दोस्तों से परेशानी बांटने में हिचकिचाएं नहीं । हो सकता है कि वे आपकी मुश्किल का कोई हल निकाल लें ।

- जब भी दोस्तों की याद आए तो उन्हें फोन करें या उनसे मिल-बैठने का प्रोग्राम बनाएं ।

- कहने को तो कहा जाता है कि दोस्ती में ‘नो सॉरी, नो थैंक्यू’ लेकिन कभी-कभी ऐसा कह देने से दोस्ती और भी मजबूत हो जाती है ।

- यदि आपके दोस्त हमेशा आपकी मदद करते हैं तो आप भी स्वयं को अच्छा दोस्त साबित करने में पीछे न रहें ।

- दोस्ती में माफ करना और बीती बातों को भूलना सीखें । कई बार आपको अपने किसी दोस्त से सहायता की उम्मीद होती है लेकिन वह किसी कारणवश आपकी मदद नहीं कर पाता तो इस बात को दिल से न लगाएं । जब भी उसे मदद की जरूरत पड़े तो पिछली बातें भूल कर उसकी मदद करें ।

- जब बहुत जरूरी हो तभी दोस्त से मदद मांगें । हर बार मुंह उठा कर उसके पास न चले जाएं ।

- मदद करने के बाद अपनी बढ़ाई न करें और न ही उसे एहसास कराएं वरना दोस्ती में दरार पड़ सकती हैं ।

दोस्तों की भी होती हैं कई किस्में

कुछ दोस्त टिकाऊ होते हैं तो कुछ पकाऊ, कुछ राजदार होते हैं तो कुछ टाइम पास लेकिन दोस्त तो आखिर दोस्त होते हैं । इसलिए जरूरी है कि दोस्त चाहे कम बनाएं लेकिन दोस्ती निभाने की कला अवश्य सीखें । किसी भी तरह की गलतफहमी होने पर तैश में आकर दोस्ती न तोड़ें बल्कि गलतफहमी दूर करें । दोस्त की भावनाओं का ध्यान रखें ।

यदि दोस्त से कोई शिकायत हो तो किसी अन्य को बताने की बजाय सीधा उससे पूछें । दोस्त की झूठी तारीफ करके उसे गुमराह न करें, खासतौर से जहां सवाल उसकी भलाई का हो । उसकी नाराजगी के डर से झूठ न बोलें । दोस्त के नाराज होने पर झट से माफी मांग लें । यदि आप दोनों एक ही जॉब या किसी अन्य कॉम्पीटीशन में हैं तो दोस्ती और प्रोफैशनल लाइफ में एक सीमा रेखा तय करें ।इस तरह आपकी दोस्ती में ताउम्र ताजगी और प्यार बना रहेगा और आप अपनी दोस्ती पर गर्व महसूस करेंगे ।

—गगन

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