'इस साल 16 कश्मीरी पंडित मारे गए', CM केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

Edited By Yaspal,Updated: 01 Jun, 2022 06:37 PM

16 kashmiri pandits were killed this year cm kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। केजरीवाल ने आज कहा कि केंद्र सरकार से गुजारिश है कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित बसाया जाए। इस वर्ष...

नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। केजरीवाल ने आज कहा कि केंद्र सरकार से गुजारिश है कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित बसाया जाए। इस वर्ष सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट समेत 16 कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर मारा गया है। कश्मीरी पंडित आज बहुत दुखी हैं। उनकी सरकार से सिर्फ एक ही मांग है कि आतंकवादियों से उन्हें सुरक्षा दी जाए। कश्मीरी पंडित वापस हिम्मत करके कश्मीर में जाकर बसे थे। वहां जाकर उन्होंने अपना घर बसाया। लेकिन अब उनके साथ वही हो रहा है जो 90 के दशक में हुआ था। उन्हें चुन चुन कर उनके घर-दफ्तर में घुसकर, सड़कों पर मारा जा रहा है। यह अमानवीय है। इंसानियत और देश के खिलाफ है। उसे रोकने के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है।

केजरीवाल ने कहा कि जब कश्मीरी पंडित भाई-बहन इसका विरोध करते हैं तो उनको उनकी कॉलोनी में बंद कर दिया जाता है, ताकि वह आवाज ना उठा सकें। वह लोग अपने किसी करीबी को मरते हुए देखते हैं और फिर जब वे इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करते तो उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। यह कैसा न्याय है। चाहे सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट हो, श्रीनगर में रहने वाले केमिस्ट एमएल बिंद्रू हो या फिर स्कूल टीचर रजनी बाला हो, इस तरह 16 कश्मीरी पंडितों को इस साल चुन चुन कर मारा गया है। यह सब कश्मीर समाज का हिस्सा हैं। कश्मीर का आम आदमी यही चाहता है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू और मुसलमान सभी एक साथ रहें और सुख से रहें, लेकिन आतंकवादी ताकतें यह नहीं चाहतीं कि यह एक साथ रहें। यह इनके लिए सबसे बड़ा खतरा। इनकी एकता आतंकवादियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

केजरीवाल ने कहा कि कश्मीरी पंडित आज वापस कश्मीर में आना चाहते हैं। कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर उनकी जन्म भूमि है। कोई भी जब अपनी जन्मभूमि छोड़कर दूसरे शहर में रहने जाता है तो चाहे वहां कितनी भी सुविधाएं दे दें, लेकिन अपना घर तो अपना होता है। अपनी मिट्टी तो अपनी होती है। उसके साथ तो अलग जुड़ाव होता है। अब ऐसा दिख रहा है कि कश्मीरी पंडित ट्रक ड्राइवरों से मोलभाव कर रहे हैं, ताकि सामान शिफ्ट किया जा सके। वह कश्मीर से निकलकर जम्मू या किसी दूसरे राज्य में जाने को मजबूर हो रहे हैं। वापस वही वक्त आ रहा है जो 90 के दशक में था। अब जीवन में कश्मीरी पंडितों के साथ दूसरी बार ऐसा हो रहा है। हम उनको सुरक्षा नहीं दे पाए। मेरी मांग है कि उनको उचित सुरक्षा दी जाए। उनकी आवाज को ना दबाया जाए, यह उनकी जन्म भूमि है। उन्हें कश्मीर में घर बसाने का हक मिलना चाहिए। मेरी केंद्र सरकार से गुजारिश है कि कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बसाने के लिए सब को एक साथ मिलकर काम करना होगा।

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