पापा से नाराज होकर सुसाइड करने पहुंची 7 साल की बच्ची, बोली- लोग ट्रेन से कटकर मर जाते हैं, इसलिए मैं...

Edited By Updated: 16 Jul, 2025 08:28 PM

a 7 year old girl upset with her father went to commit suicide

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सात साल की मासूम बच्ची को उसके ही पिता की क्रूरता ने इस हद तक तोड़ दिया कि वह ट्रेन के आगे कूदकर जान देने पहुंच गई।

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सात साल की मासूम बच्ची को उसके ही पिता की क्रूरता ने इस हद तक तोड़ दिया कि वह ट्रेन के आगे कूदकर जान देने पहुंच गई। लेकिन, पड़ोस के दो युवकों और पुलिस की सूझबूझ ने उसकी जान बचा ली, और फिर एक नेक इंसान ने उसे गोद लेकर एक नई ज़िंदगी दी।

क्या हुआ उस दिन?

यह घटना औरैया के अछल्दा थाना क्षेत्र की है, सात साल की रोशनी रेलवे ट्रैक के पास अकेली टहल रही थी, शायद खुदकुशी के इरादे से, उसी समय उसके मोहल्ले के रहने वाले राहुल खान और मोहर सिंह राजपूत की नज़र उस पर पड़ी। उन्हें कुछ असामान्य लगा, तो उन्होंने तुरंत 112 पीआरबी (पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल) को सूचना दी। सूचना मिलते ही कॉन्स्टेबल राजकुमार और रामकिशोर मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से रोशनी को सुरक्षित अछल्दा थाने ले आए।

पिता की क्रूरता और मासूम का दर्द

थाने में पूछताछ के दौरान रोशनी ने जो बताया, वह सुनकर पुलिसकर्मी भी सन्न रह गए। बच्ची ने कहा, "मेरे पापा मुझे बहुत मारते हैं, पिछले तीन दिन से लगातार पीट रहे हैं और मुझे कमरे में बंद कर देते हैं। न स्कूल भेजते हैं और न पढ़ाई करने देते हैं, मुझसे घर का सारा काम करवाते हैं। उन्होंने मुझे छत से धक्का दे दिया, जिससे मुझे काफी चोट आई और खून बहता रहा. उन्होंने कोई मदद नहीं की, इसलिए गुस्से में सुबह घर से निकल आई। मैंने सुना था कि लोग दुःखी होकर ट्रेन से कटकर मर जाते हैं। मैं मरने आई थी, अब मैं वापस नहीं जाना चाहती।"

मानसिक रूप से बीमार मां और लाचार पिता

मोहल्ले के लोगों ने बताया कि रोशनी की मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। बच्ची की आपबीती सुनकर बजरंग नगर निवासी चंदन राजपूत तुरंत थाने पहुंचे और संतोष राजपूत (रोशनी के पिता) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके साथ ही उन्होंने रोशनी को गोद लेने का प्रस्ताव भी रखा।

उधर, रोशनी के पिता संतोष राजपूत ने अपनी लाचारी बयां करते हुए कहा, "मेरी आर्थिक हालत बहुत खराब है। बच्चों की देखभाल कर पाना मुश्किल हो गया है। पत्नी मानसिक रूप से बीमार है और उसकी भी जिम्मेदारी मेरी है, ऐसे में मैं चाहता हूं कि रोशनी को कोई बेहतर परवरिश दे।" संतोष ने अपनी बेटी को चंदन राजपूत को सौंपने की सहमति दे दी।

चंदन राजपूत बने देवदूत

चंदन राजपूत पेशे से दर्जी हैं और साथ में किसानी भी करते हैं। उनका एक बेटा है, लेकिन वे हमेशा से एक बेटी चाहते थे। जब उन्होंने रोशनी की दुखद कहानी सुनी, तो उन्होंने उसे अपनी बेटी के रूप में अपनाने का तुरंत निर्णय लिया। गोद लेने की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं।

चंदन ने कहा, "रोशनी को अपनी बेटी मानकर पालूंगा। उसे अच्छी शिक्षा दिलवाऊंगा और उसकी शादी भी अच्छे से करूंगा।" उसी दिन उन्होंने रोशनी का अछल्दा के बजरंग नगर स्थित लॉरेंस इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 3 में दाखिला कराया। उसके लिए नए कपड़े, स्कूल यूनिफॉर्म और नई किताबें भी खरीदीं। आज जब रोशनी स्कूल जा रही थी, तो उसके चेहरे पर एक नई ज़िंदगी की खुशी साफ दिखाई दे रही थी। यह घटना समाज में व्याप्त संवेदनशीलता और इंसानियत की मिसाल पेश करती है।

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