संचार क्रांति के जरिए अरबों लोगों का जीवन बदला पंजाब के प्रो. नरेंद्र सिंह कपानी ने

Edited By Anil dev,Updated: 10 Nov, 2021 03:15 PM

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भारतीय मूल के अमरीकी विज्ञानी और फाइबर ऑप्टिक्स के पितामह प्रोफैसर नरेंद्र सिंह कपानी को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मविभूषण अवार्ड के साथ सम्मानित किया। मूल रूप से पंजाब के जिला मोगा में 31 अक्तूबर 1926 को जन्मे प्रो. कपानी को यह अवार्ड...

नेशनल डेस्क: भारतीय मूल के अमरीकी विज्ञानी और फाइबर ऑप्टिक्स के पितामह प्रोफैसर नरेंद्र सिंह कपानी को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मविभूषण अवार्ड के साथ सम्मानित किया। मूल रूप से पंजाब के जिला मोगा में 31 अक्तूबर 1926 को जन्मे प्रो. कपानी को यह अवार्ड मरणोपरांत दिया गया है। वे एक ऐसे हीरो हैं, जिन्होंने दुनियाभर के अरबों लोगों के जीवन में संचार क्रांति के जरिए बदलाव ला दिया।

फाइबर ऑप्टिक्स तकनीक खोजकर दुनिया में संचार क्रांति की नींव रखने वाले प्रो. कपानी की उपलब्धियों को लेकर केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2021 को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजने की घोषणा की थी। प्रो. कपानी का पिछले वर्ष 94 साल की उम्र में अमरीका में निधन हो गया था।

फॉर्च्यून पत्रिका में 1999 में दुनिया के 7 ‘अनसंग हीरोज’ में चुने गए प्रो. कपानी ने स्नातक की पढ़ाई आगरा विश्वविद्यालय से की थी। उसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई लंदन के इम्पीरियल कालेज से की। वहीं से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि ली। ऑडनेंस फैक्ट्रियों का प्रबंधन संभालने वाली भारतीय आयुध कारखाना सेवा (आई.ओ.एफ.एस.) के अधिकारी के तौर पर करियर शुरू करने वाले कपानी करीब 45 वर्ष पहले अमरीका चले गए थे, जहां उन्हें दुनिया के प्रमुख भौतिक विज्ञानियों में गिना गया।  उनके शोध और आविष्कारों में फाइबर-ऑप्टिक्स संचार, लेजर, बायोमैडीकल इंस्ट्रूमैंटेशन, सौर ऊर्जा और प्रदूषण निगरानी शामिल हैं। उनके पास 100 से अधिक पेटैंट हैं और वह नैशनल इन्वैंटर्स कौंसिल के सदस्य थे।


1952 में किया था अपने शोध का ऐलान
कपानी को फाइबर-ऑप्टिक्स का आइडिया एक कैमरे को देख कर आया था जिसमें प्रकाश की दिशा को लैंस और प्रिज्म के माध्यम से बदला जाता है। पहले उन्हें बताया गया था कि प्रकाश सीधी रेखाओं में आगे बढ़ता है। यही कारण है कि उन्होंने इस चीज पर शोध करना चाहा और वह इसके लिए लंदन पहुंच गए। वहां उन्होंने इम्पीरियल कालेज लंदन में दाखिला लिया। जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वे ऐसा सोचने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं। वहां और भी छात्र इस पर शोध कर रहे थे। वे प्रकाश को किसी लचीले ग्लास के माध्यम से दूर तक भेजने को लेकर रिसर्च कर रहे थे। कपानी भी बिना देर किए एक साइंटिस्ट ‘हेरॉल्ड हॉपकिंस्ट’ के साथ मिलकर अध्ययन करने लगे और साल 1952 में दोनों ने नेचर पत्रिका में अपनी खोज का ऐलान किया।

1953 में पहली बार एक फोटो को दूसरी जगह भेजी
इंपीरियल कालेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने फाइबर के माध्यम से संचरण पर हेरोल्ड हॉपकिन्स के साथ मिलकर काम किया। इसी दौरान 1953 में उन्होंने पहली बार फाइबर ऑप्टिक्स के माध्यम से एक फोटो को दूसरी जगह भेजने की उपलब्धि हासिल की, जो 1954 में फाइबर ऑप्टिक्स तकनीक के तौर पर दुनिया के सामने आई। उन्होंने ही 1960 में साइंटिफिक अमरीकन के एक लेख में पहली बार दुनिया को ‘फाइबर ऑप्टिक्स’ शब्द दिया था। कपानी को नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया। फॉ'र्यून पत्रिका ने उन्हें एक बार दुनिया की 10 सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में भी शामिल किया था।

फाइबर ऑप्टिक्स पर 56 शोधपत्र लिखे हैं
डा. कपानी ने ऑप्टिकल फाइबर के क्षेत्र में खूब काम किया है। उन्होंने 1955-1966 के बीच ऑप्टिकल फाइबर पर करीब 56 शोधपत्र लिखे।

पंजाब की प्रमुख शख्सियतें जिन्हें मिल चुका है पद्म विभूषण
वर्ष               शख्सियत                                 क्षेत्र
1970     लै. जनरल हरबख्श सिंह              सैन्य सेवाएं
1972     प्रताप चंद्र                                  नागरिक सेवा
1976    ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर          साहित्य एवं शिक्षा
1977    एयर चीफ मार्शल ओ.पी. मेहरा     नागरिक सेवा
1987    डा. बेंजामिन प्यारे लाल               विज्ञान एवं अभियांत्रिकी
1992    स. स्वर्ण सिंह                            लोक सेवा
2009    जसबीर सिंह                            बजाज चिकित्सा
2015    स. प्रकाश सिंह  बादल               लोक सेवा

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