जम्मू कश्मीर: अमरनाथ जा रहे हैं तो इन बातों को ध्यान में रखकर जाइएगा

Edited By ,Updated: 01 Jul, 2015 01:19 PM

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बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए जम्मू शहर में तीर्थयात्री व साधु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। वहीं श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा की तीर्थ यात्रा के लिए स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देश भी बोर्ड द्वारा जारी किए गए हैं।

जम्मू (सतीश शर्मा ):  बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए जम्मू शहर में तीर्थयात्री व साधु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। वहीं श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा की तीर्थ यात्रा के लिए स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देश भी बोर्ड द्वारा जारी किए गए हैं। श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा दक्षिण कश्मीर हिमालय में 13,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।

पवित्र गुफा की ऊँचाई तक जाने से अत्यधिक ठंड, कम आद्रता, बढ़े हुए पराबैंगनी विकिरण और कम हवा के दबाव का सामना करना पड़ता है। इन परिस्थितियों में लंबी पैदल यात्रा करने वालों को घातक पर्वत रोग (ए.एस.एस.) होने का खतरा रहता है। घातक पर्वत रोग, जो दिमाग और फेफ ड़ों को प्रभावित करता है, तब लगता है जब आप 8000 फ ीट (2500 मीटर) से अधिक की ऊँचाई पर चढ़ते हैं। पवित्र गुफ ा की ओर जाने वाली बर्फ ीली ऊँचाई पर जाते समय भक्तों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

घातक पर्वत रोग:
यह पहाड़ों पर होने वाला सबसे आम रोग है। यह 2500 मीटर से अधिक ऊँचाई पर चढऩे के बाद होता है। इसके लक्षण हैं - साँस की समस्या, सिर दर्द, भूख न लगना, मतली / मिचली आना, उल्टी आना, अत्यधिक थकान, कमजोरी, चक्कर आना और सोने में कठिनाई।

अधिक ऊचाई दिमागी एडीमा (हेको):
हेको घातक पर्वत रोग का गंभीर रूप है। यह दिमागी ऊतकों में सूजन से होता है। यह दिमाग को क्षतिग्रस्त भी कर सकता है। इस बीमारी का प्रभाव रात में दिखाई देता है। इसके कारण आदमी कुछ ही घंटों के अंदर बेहोशी की नींद में जा सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इसके लक्षणों में साँस की समस्या, सिर दर्द, अत्यधिक थकान, ठीक से दिखाई न देना, मूत्राशय की समस्या, मलत्याग की समस्या, दिशाहीनता और आंशिक लकवा सम्मिलित है।

अधिक ऊँचाई फेफड़ा एडीमा (हेपो):
हेपो से साँस प्रक्रिया रूक सकती है। यह फेफ ड़े में तरल पदार्थ के जमने के कारण होता है। हेपो बीमारी का रात में पता चलता है (खासकर ऊँचाई चढ़ते रहने की दूसरी रात)। यह तेज़ी से बढ़ता है और कुछ ही घंटों में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसके लक्षण हैं - आराम की अवस्था में भी रुक-रुक कर साँस लेना, लगातार सूखी खाँसी, चमकदार लाल धब्बे वाला बलगम, कमजोरी, अत्यधिक थकान, ऊँघना, छाती में जकडऩ, भारीपन और तीव्र हृदय गति। कम उम्र के युवाओं में इस बीमारी की संभावना अधिक रहती है क्योंकि इनमें जोश में आकर अधिक जोर लगाकर ऊँचाई चढऩे की प्रवृति होती है।

क्या करें?
1. यदि आप पहले से किसी प्रकार की चिकित्सा ले रहे हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि अपने चिकित्सक से पूर्व
सलाह लेकर ही पवित्र गुफ ा में जाने की योजना बनाऐं।
2. आप अपने शरीर को पर्याप्त समय देकर अभ्यस्त बनाएं ताकि अधिक ऊँचाई की बीमारी से अपने को बचा सकें।
इसलिए यात्रा क्षेत्र में आने के बाद के पहले 48 घंटों में ज्यादा तेजी के साथ चढऩे का प्रयास न करें।
3. योग्य डाक्टर से सलाह लिए बिना किसी भी स्थिति में कोई भी दवा न लें। उपयुक्त चिकित्सा सलाह के बिना कोई
भी दवा अधिक ऊँचाई की स्थिति में नुकसानदेह और यहाँ तक कि जानलेवा हो सकती है।
4. अधिक ऊँचाई पर शरीर में पानी की कमी एक सामान्य स्थिति है जिससे सिर दर्द भी होता है। प्रतिदिन प्रचुर मात्रा
में तरल पदार्थ, जैसे कि लगभग पाँच लीटर पानी, जूस, जड़ी-बूटी वाली चाय आदि, का सेवन करें।
5. तीर्थ यात्रा के दौरान आपको अधिक कार्बोहाइडेऊट युक्त खाना लेना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना घातक पर्वत रोग से बचने में सहायक समझा जाता है।
6. तीर्थ यात्रा के लिए आसानी से साथ उठाकर ले जाने लायक आक्सीजन ले जाने चाहिए। यह बहुत लाभकारी है, खास कर उनके लिए जिन्हें साँस लेने में कठिनाई होती है।
7. यदि आपको चढ़ते समय अचानक घातक पर्वत रोग के लक्षण दिखें तो आप यथाशीर्घ कम ऊँचाई की ओर चले जाएं
जहाँ आप आराम का अनुभव करें। आप तुरंत निर्धारित दवा और आक्सीजन लें। डॉक्टरी सलाह के लिए तीर्थस्थल
बोर्ड द्वारा रास्ते में स्थापित नजदीकी चिकित्सा केन्द्र या डाक्टर से संपर्क करने का प्रयास भी करना चाहिए। आगे
की यात्रा डाक्टर की सलाह के बाद ही की जानी चाहिए।
8. धीमी और लयबद्ध गति से चलें और जहाँ तक संभव हो अकेले चलने की बजाय समूह में चलें।

क्या  न करें ?
1. घातक पर्वत रोग के लक्षण दिखें तो उन पर तुरंत ध्यान दें। किसी भी संभाव्य बीमारी के लक्षणों की अनदेखी करके
साथियों के साथ लंबी चढ़ाई चढ़ते रह जाना जानलेवा हो सकता है।
2. लंबी पैदल चढ़ाई के दौरान शराब, कैफ ीन युक्त पेय, धूम्रपान, नींद की गोली, शक्तिशाली दर्द निरोधक दवा आदि का सेवन न करें, खासकर घातक पर्वत रोग का कोई भी लक्षण दिखने पर।
3. रात को सोने का स्थान पिछली रात के सोने के स्थान से 300 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर नहीं होना चाहिए।
4. पर्याप्त भोजन और तरल पदार्थ लेना कभी न भूलें। जैसा कि होता है, अधिक ऊँचाई पर खाने की इच्छा कम होती
जायेगी, इसलिए यदि आवश्यक हो तो पर्याप्त पोषण जबरदस्ती भी लेने का प्रयास करें।

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