तनाव के बीच चीन को भारत का जवाब, तिब्बती जवान की अंतिम विदाई में शामिल हुए BJP नेता राम माधव

Edited By Yaspal,Updated: 07 Sep, 2020 11:15 PM

bjp leader ram madhav joins tibetan jawan s final farewell

भारतीय सेना और लेह में तिब्बती समुदाय के लोगों ने सोमवार को तिब्बती जवान नीमा तेन्जिन को अंतिम विदाई दी। तेन्जिन कभी गुप्त समूह रहे स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) के कमांडो थे। यह फोर्स भारतीय सेना के अंडर में ऑपरेट में काम करती है। अगस्त के आखिरी...

नई दिल्लीः भारतीय सेना और लेह में तिब्बती समुदाय के लोगों ने सोमवार को तिब्बती जवान नीमा तेन्जिन को अंतिम विदाई दी। तेन्जिन कभी गुप्त समूह रहे स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) के कमांडो थे। यह फोर्स भारतीय सेना के अंडर में ऑपरेट में काम करती है। अगस्त के आखिरी महीने में नीमा तेन्जिन दक्षिणी पैंगॉन्ग में एक पुराने लैंडमाइन की चपेट में आ गए थे, जिससे हुए धमाके में उनकी जान चली गई थी।

उनके अंतिम संस्कार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के महासचिव राम माधव शामिल हुए। उन्होंने इस दौरान की तस्वीरें शेयर कर एक ट्वीट भी किया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया। हालांकि, पिछले हफ्ते ही चीन और भारत के बीच हुई एक और झड़प के बाद बीजेपी नेता का तिब्बती जवान की अंतिम विदाई में शामिल होने को  चीन को कड़े जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

बता दें कि स्पेशल फ्रंटियर फोर्स दलाई लामा, तिब्बती और भारतीय झंडे से अपनी प्रतिबद्धता रखता है। यह फोर्स पहाड़ी युद्धों की विशेषज्ञ है और तिब्बत में दुश्मनों के बीच में ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षित है। तिब्बती सैनिक नीमा तेन्जिंग के जान गंवाने के बाद इस प्रतिष्ठित लेकिन बहुत आम जानकारी से बहुत दूर रहने वाले ऊंचाइयों पर लड़ने वाले इन योद्धाओं की थोड़ी झलकियां सामने आई हैं। फोर्स अधिकतर तिब्बती शरणार्थियों को भर्ती करती है, जो 1959 में विफल रहे बगावत के बाद दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद से भारत  आ गए थे। बाकी कुछ भारतीय नागरिक हैं।

तेनजिन की मौत 29/30 अगस्त की रात पैंगोंग झील क्षेत्र के पास तब हो गई थी जब उनका पैर 1962 में बिछाई गई एक बारूदी सुरंग पर पड़ गया। सूत्रों ने बताया कि उनकी मौत का संबंध उसी रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव से नहीं है। एसएसएफ अत्यंत दक्ष सैन्य इकाई है जिसकी स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद की गई थी। इसमें मुख्यत: तिब्बती शरणार्थियों को भर्ती किया जाता है। भारतीय सेना ने गत 31 अगस्त को कहा था कि उसने 29/30 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में यथास्थिति बदलने के चीनी सेना के प्रयास को विफल कर दिया।

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