भाजपा ने लोकसभा चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति में अनुभव और संगठनात्मक क्षमता पर किया भरोसा

Edited By Yaspal,Updated: 30 Dec, 2018 07:06 PM

bjp relying on organizational ability in the appointment of lok sabha election

भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश प्रभारियों की अपनी टीम चुनने में चुनावी अनुभव और संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा किया है। जैसी उम्मीद थी मोदी...शाह की जोड़ी ने कुछ ऐसे भी चयन किये हैं जो...

नई दिल्लीः भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश प्रभारियों की अपनी टीम चुनने में चुनावी अनुभव और संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा किया है। जैसी उम्मीद थी मोदी...शाह की जोड़ी ने कुछ ऐसे भी चयन किये हैं जो चौंकाने वाले हैं और इसमें हिंदुत्व एजेंडा मूल में रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात से आने वाले गोर्धन झडफिया को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी है। उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा का प्रदर्शन केंद्र की सत्ता बने रहने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
PunjabKesariचुनाव प्रभारी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद सहयोगी होते हैं और उनका काम केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाइयों के बीच दूरी को पाटना, जमीनी स्तर से जानकारी प्राप्त करना और पृष्ठभूमि में रहते हुए चुनाव प्रचार निष्पादित करना होता है।

17 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए प्रभारी चुने गए नेताओं के परिचय इस प्रकार हैं।

गोवर्धन झडफिया: मोदी से उनके मदभेद 2004 में तब सामने आये थे जब उन्होंने मंत्री के तौर पर शपथ लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बाद में मोदी से मुकाबले के लिए अपनी पार्टी बनायी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों केशुभाई पटेल और सुरेश मेहता से हाथ मिला लिया। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में वापस आ गए। आरएसएस और विहिप के साथ उनके संबंध हमेशा ही मजबूत रहे।  वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान राज्य के गृह राज्य मंत्री रहे झडफिया ने 2019 में उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से सभी सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। भाजपा ने 2014 में उनमें से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2014 में शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे।
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भूपेंद्र यादव: पार्टी महासचिव हैं और वह बिहार के प्रभारी रहेंगे। यादव एक वकील हैं और शाह के 2014 में भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद प्रत्येक राज्य के चुनाव में किसी न किसी तरीके से जुड़े रहे हैं। उन्हें शाह का विश्वासपात्र माना जाता है और वह लंबे समय से बिहार में पार्टी मामलों के प्रभारी रहे हैं। यादव का मुख्य कार्य बिहार में भाजपा के सहयोगी दलों जदयू और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोजपा के साथ मतभेदों को दूर करना होगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की 40 सीटों में से 31 पर जीत दर्ज की थी।
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  • महेंद्र सिंह: उत्तर प्रदेश सरकार में एक मंत्री हैं और उन्हें असम के लिए चुनाव प्रभारी बनाया गया है। उनके प्रभारी रहते पार्टी पहली बार 2016 में असम में सत्ता में आयी थी।
  • अरुण सिंह: वह पार्टी महासचिव हैं वह ओडिशा में चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे। सिंह (53) उत्तर प्रदेश से एक ठाकुर नेता हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत भाजयुमो से की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने ओडिशा की 21 सीटों में से मात्र एक सीट पर जीत दर्ज की थी।
  • मंगल पांडेय: पूर्व बिहार भाजपा प्रमुख के साथ ही पूर्व में हिमाचल प्रदेश में पार्टी मामलों को देख चुके हैं। अब बिहार सरकार में मंत्री हैं। 53 वर्षीय पांडेय के हाथ में झारखंड में पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान होगी।
  • तीरथ सिंह रावत: पूर्व उत्तराखंड भाजपा प्रमुख रावत हिमाचल प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी होंगे। उनका कार्य 2014 के प्रदर्शन को दोहराना होगा जब पार्टी ने वहां की सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।
  • नलिन कोहली: पेशे से वकील एवं पार्टी के प्रवक्ता। कोहली नगालैंड और मणिपुर के प्रभारी हैं। भाजपा मणिपुर में सत्ता में है और उनकी सहयोगी नगालैंड में सत्ता में है।
  • नितिन नबीन: बिहार के एक विधायक हैं। उन्हें सिक्किम का प्रभार दिया गया है। इनकी आयु मात्र 38 वर्ष है और भाजयुमो से जुड़े रहे हैं।


प्रकाश जावड़ेकर: कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के लिए पार्टी मामलों के प्रभारी रहे हैं। जावड़ेकर को राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है जहां वसुंधरा राजे और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच विभिन्न मुद्दों पर गहरे मतभेद रहे हैं। जावड़ेकर मोदी और शाह दोनों के विश्वासपात्र हैं। उन्हें संघ का भी समर्थन है। सुधांशु त्रिवेदी को भी एकबार फिर 2019 चुनाव के लिए राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डाक्टरेट त्रिवेदी भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सलाहकार रहे थे। उन्हें उनके राजनीतिक विश्लेषण और जाति समीकरणों की गहरी समझ के लिए जाना जाता है।
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ओ पी माथुर: पार्टी के उपाध्यक्ष हैं और वह 16 वर्षों बाद गुजरात के चुनाव प्रभारी होंगे। वह 2002 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश प्रभारी रहे थे। थावरचंद गहलोत: भाजपा के दलित चेहरा एवं केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को एक बार फिर उत्तराखंड का प्रभार दिया गया है। वह भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं।
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  • कैप्टन अभिमन्यु: हरियाणा में भाजपा सरकार में मंत्री हैं और उन्हें पंजाब एवं चंडीगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। अमित शाह के खास माने जाने वाले अभिमन्यु 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के लिए उनकी टीम में शामिल थे। भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी अनिल जैन अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली में एक सर्जन हैं।
  • सुनील देवधर: त्रिपुरा में पार्टी की जीत के शिल्पकार सुनील देवधर को आंध्र प्रदेश के लिए पार्टी का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। उन्हें उनके संगठनात्मक कौशल, विशेष तौर पर जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। वी मुरलीधरन उनकी सहायता करेंगे जो पार्टी की केरल इकाई के पूर्व प्रमुख हैं।  तेलंगाना की जिम्मेदारी अरविंद लिंबावली को दी गई है जो कर्नाटक से वर्तमान में विधायक और पूर्व मंत्री हैं।
  • स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मध्यप्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी होंगे। सिंह का सहयोग भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व प्रमुख सतीश उपाध्याय करेंगे। 

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