Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jun, 2018 08:58 AM
दक्षिण भारत के 4 राज्यों में पैठ बनाने के लिए हताश मोदी-शाह टीम स्थिति को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए अब कड़ी मेहनत कर रही है। अगर यह कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) सरकार को गिराने के लिए मेहनत कर रही है तो तमिलनाडु में अपनी पैठ जमाने के लिए वह...
नेशनल डेस्कः दक्षिण भारत के 4 राज्यों में पैठ बनाने के लिए हताश मोदी-शाह टीम स्थिति को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए अब कड़ी मेहनत कर रही है। अगर यह कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) सरकार को गिराने के लिए मेहनत कर रही है तो तमिलनाडु में अपनी पैठ जमाने के लिए वह कुछ गैर-परम्परागत हथकंडे अपना रही है। आंध्र प्रदेश में एक बार भाजपा ने 11 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। दोनों यह जानते हैं कि आंध्र प्रदेश में अपना आधार पुन: बनाने के लिए वाई.एस.आर. कांग्रेस या तेदेपा के साथ कुछ गठबंधन करना होगा। केरल तो पहले ही उससे दूर है जहां भाजपा को वोट मिल सकते हैं मगर कोई सीट नहीं।
हाल ही में प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के राज्यों की कोर टीम के साथ बैठक की थी जहां नेताओं ने अपनी चिंता व्यक्त की थी। भाजपा ने इस संबंध में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया मगर ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस और जद (एस) के असंतुष्ट नेताओं को अपने साथ उचित समय पर मिलाया जा सके। कांग्रेस और जद (एस) अपना संयुक्त चेहरा बनाए रखने के लिए संघर्षरत हैं। मोदी ने हाल ही में अपने एक विश्वासपात्र को बताया कि कर्नाटक सरकार कभी भी गिर सकती है। मोदी अन्नाद्रमुक के ई.पी.एस.-टी.टी.वी. गुटों को एक साथ लाने के लिए भी काम कर रहे हैं।
विशेषकर 18 विधायकों के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के खंडित फैसले के बाद ई.पी.एस. सरकार को कुछ राहत मिली है। अब मोदी की इस बात में रुचि है कि कमजोर टी.टी.वी. दिनाकरण को अन्नाद्रमुक के ई.पी.एस.-ओ.पी.एस. गुटों के साथ मिलाया जाए। टी.टी.वी. का अन्नाद्रमुक के साथ विलय हो जाए और सभी मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ें। ऐसी संभावना है कि अब 3 जजों की नई पीठ भी 2019 में लोकसभा चुनावों से पहले इन 18 विधायकों के मामले में अपना फैसला नहीं दे पाएगी। ये सभी विधायक टी.टी.वी. गुट से संबंधित हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी अगले महीने के शुरू में प्रधानमंत्री से मुलाकात करने जा रहे हैं। यह भी एजैंडे का एक मुद्दा हो सकता है।