काले धन पर मोदी सरकार नाकाम!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Aug, 2017 11:18 AM

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काले धन पर भले ही मोदी सरकार जोर-शोर से ढिढोरा पीट रही है लेकिन इस मामले में सरकार को खास सफलता नहीं मिली है। कई तरह की घोषणाएं व रियायतों के बावजूद सरकार काले धन को बाहर नहीं निकाल पाई।

नई दिल्ली: काले धन पर भले ही मोदी सरकार जोर-शोर से ढिढोरा पीट रही है लेकिन इस मामले में सरकार को खास सफलता नहीं मिली है। कई तरह की घोषणाएं व रियायतों के बावजूद सरकार काले धन को बाहर नहीं निकाल पाई।  सरकार ने स्वेच्छा से ब्लैक मनी के खुलासे की योजना लागू की मगर इसमें उसे सफलता नहीं मिली। सरकार ने जून में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत काले धन के खुलासे की स्कीम लागू की लेकिन इसमें भी उसे नाकामी हाथ लगी।

क्या कहते हैं राजस्व सचिव
राजस्व सचिव हंसमुख अधिया के अनुसार गरीब कल्याण योजना ज्यादा सफल नहीं रही। इस योजना के तहत मात्र करीब 5 हजार करोड़ के काले धन का ही खुलासा हुआ है। उन्होंने  कहा  कि  50  फीसदी टैक्स और 25 फीसदी डिपॉजिट लोगों को ज्यादा लगा। यही कारण है  कि  बहुत कम लोगों ने ब्लैक मनी का खुलासा किया।

एजैंसियों में तालमेल का अभाव 
वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों का कहना है कि ब्लैक मनी के खिलाफ सरकार 3 साल से अभियान चला रही है। हर जांच एजैंसी अपने-अपने तरीके से जांच कर रही है। ऐसे में 2 परेशानियां पेश आ रही हैं। एक तो जांच एजैंसियों में तालमेल का अभाव है, दूसरा ब्लैक मनी के सही आंकड़े सरकार के सामने नहीं आ रहे हैं।

स्विट्जरलैंड में भी झटका
स्विट्जरलैंड की एक राजनीतिक पार्टी स्विस पीपल्स पार्टी (एस.वी.पी.) ने भारत व 10 अन्य देशों के साथ बैंकिंग सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान का विरोध किया है। इस मुद्दे पर एस.वी.पी. का रुख स्विट्जरलैंड सरकार के आधिकारिक रुख से बिल्कुल विपरीत है। स्विस सरकार ने वित्तीय मामलों में सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान करने वाले देशों की सूची में भारत को शामिल करने पर सहमति के लिए भारत में मजबूत डाटा संरक्षण कानून का हवाला दिया है। उल्लेखनीय है कि एस.वी.पी. फैडरल असैंबली में सबसे बड़े दलों में से एक है।

क्या बोले वित्त मंत्री
वित्त मंत्री अरुण जेतली का कहना है कि ब्लैक मनी पर सर्च की जा रही है। इसकी मदद से 1 लाख  हाई रिस्क लोगों की जानकारी मिली है। यही नहीं, 7.4 लाख मीडियम रिस्क लोगों की जानकारी भी हासिल हुई है। इन सभी खातों की निगरानी की जा रही है। सी.बी.डी.टी. के चेयरमैन बोले-बड़ी कामयाबी मिली।

किरकिरी से बचने के लिए सख्त कदम की तैयारी में सरकार
अपनी असफलता को छिपाने के लिए केंद्र सरकार देश में ब्लैक मनी खत्म करने और इसे देश से बाहर जाने से रोकने को लेकर गंभीर दिख रही है। ब्लैक मनी पर सरकार स्पैशल सैल बनाएगी। यह सैल वित्त मंत्रालय और पी.एम.ओ. को हर महीने रिपोर्ट देगा। सैल में आर.बी.आई. और डायरैक्टोरेट ऑफ रैवेन्यू इंटैलीजैंस (डी.आर.आई.) के अधिकारी शामिल होंगे। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सैल ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने से लेकर सर्च ऑप्रेशन पर निगाह रखेगा।


आगामी चुनावों का है दबाव
सरकार की कोशिश होगी कि जब वह अगले लोकसभा चुनाव में जाए तो उसके पास ब्लैक मनी के खिलाफ की गई जांच और उससे संबंधित आंकड़े हों ताकि वह लोगों को बता सके कि इस मोर्चे पर सरकार ने कितना काम किया है।

इधर सी.बी.डी.टी. के चेयरमैन सुशील चंद्रा का कहना है कि काले धन को रोकने में सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। अभी तक करीब 16,400 करोड़ की अघोषित आय का खुलासा हो चुका है। यही नहीं नोटबंदी के बाद से करीब 91 लाख नए टैक्स-पेयर जुड़े हैं और 3 लाख लोगों को पैन कार्ड जारी किए गए हैं। ई-रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। नया बना सैल ब्लैक मनी पर बने विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) से लेकर इन्कम टैक्स विभाग, ई.डी., कस्टम, बैंकों और डी.आर.आई. के साथ मिलकर ब्लैक मनी का पता लगाने, उसको बाहर निकालने और अंकुश लगाने के लिए रणनीति बनाएगा। सैल यह भी पता लगाएगा कि जांच एजैंसियों ने ब्लैक मनी को लेकर कितने सर्च ऑप्रेशन्स को अंजाम दिया। कितनी ब्लैक मनी पकड़ी गई, कितनी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और कितने दिनों में की गई, इसे लेकर भी सैल रिपोर्ट बनाएगा। यह रिपोर्ट पी.एम.ओ. और वित्त मंत्रालय को नियमित रूप से सौंपी जाएगी ताकि ब्लैक मनी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की सफलता का आकलन किया जा सके।

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