जब बजट भाषण के दौरान निर्मला सीतारमण को आई महाभारत की याद, श्लोक पढ़कर दिया राजधर्म का उपदेश!

Edited By Anu Malhotra,Updated: 01 Feb, 2022 04:07 PM

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश किया। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने जहां आत्मनिर्भर भारत के तहत गतिशक्ति योजना की बात की वहीं इस दौरान अपने डेढ़ घंटे के बजट भाषण में  महाभारत के शांतिपर्व...

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश किया। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने जहां आत्मनिर्भर भारत के तहत गतिशक्ति योजना की बात की वहीं इस दौरान अपने डेढ़ घंटे के बजट भाषण में  महाभारत के शांतिपर्व में वर्णित राजधर्म अनुशासन का जिक्र भी किया।  
 

दरअसल, सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य इस बजट के माध्यम से लोगों का कल्याण करते हुए राजधर्म निभाने का है। उन्होंने महाभारत के शांतिपर्व के 72वें अध्याय के 11वें श्लोक का जिक्र किया जिसमें युधिष्ठिर राजधर्मानुशासन की बात करते हुए जनमानस के कल्याण और योगक्षेम की बात करते हैं। 
 

शांतिपर्व में कहा गया है, दापयित्वा करं धर्म्यं राष्ट्रं नित्यं यथाविधि | अशेषान्कल्पयेद्राजा योगक्षेमानतन्द्रितः ।। अर्थात्, किसी राष्ट्र का राजधर्म किसी भी विधि से जनता का कुशलक्षेम और कल्याण ही है।
 

बता दें कि शान्ति पर्व महाभारत का 12वां पर्व है. इसमें धर्म, दर्शन, राजानीति और अध्यात्म ज्ञान की विशद व्याख्या की गई है। इस पर्व में महाभारत युद्ध के बाद शोकाकुल लोगों को युधिष्ठिर राजधर्म का अनुशासन पढ़ाते हैं, इसी के तहत वह मोक्ष धर्म का भी उपदेश देते हैं।
 

सीतारमण ने अपने बजट में यह दोहा पढ़ कर भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया और देशवासियों को भी राजधर्म का उपदेश दिया।  

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