Bye-Bye 2018: ओडिशा में 2018 में चुनावी तैयारियों में लगे रहे राजनीतिक दल

Edited By Yaspal,Updated: 28 Dec, 2018 08:46 PM

bye bye 2018 political party engaged in election preparations in odisha in 2018

ओडिशा में राजनीतिक दलों ने अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। बीजू जनता दल (बीजद) सरकार ने सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए 2018 में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू...

भुवनेश्वरः ओडिशा में राजनीतिक दलों ने अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। बीजू जनता दल (बीजद) सरकार ने सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए 2018 में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जबकि विपक्ष आरोप लगाता रहा कि यह सब वोटरों को लुभाने और वोट हथियाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। राज्य में अगले वर्ष लोकसभा चुनावों के साथ राज्य विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में बीजद लगातार पांचवी बार सत्ता में आने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोडऩा चाहता है।
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भाजपा और कांग्रेस ने दावा किया है कि नवीन पटनायक का शासन लंबे समय तक सत्ता में रहने के चलते सत्ता विरोधी लहर से ढह जाएगा। पटनायक समेत बीजद नेताओं का कहना है कि विकास और कल्याण की कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किये जाने से बीजद फिर से सत्ता में आयेगी। पटनायक 2000 से मुख्यमंत्री है।
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भाजपा के प्रमुख अमित शाह ने ओडिशा में 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में 147 सीटों में से 120 सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा है। पार्टी अपनी लोकसभा की सीटों को काफी हद तक बढ़ाने की बात भी कर रही है। इस समय भाजपा के ओडिशा में 147 सदस्य विधानसभा में 10 विधायक हैं जबकि राज्य की कुल 21 लोकसभा सीट में से उसके पास 1 सीट है।
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पटनायक सरकार ने सभी वर्गों के लोगों के लिए कई योजनाएं शुरू की जिसमें से एक योजना ‘बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना’ और राज्य की अपनी खाद्य सुरक्षा योजना शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र की आयुष्मान भारत योजना को खारिज किये जाने के लिए बीजद सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि इस निर्णय से राज्य के लाखों लोग इस स्वास्थ्य योजना के लाभों से वंचित रह जायेंगे।
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मोदी पर पलटवार करते हुए पटनायक ने कहा था कि ओडिशा की योजना केन्द्र की योजना से बेहतर है। केन्द्र और ओडिशा सरकार के बीच प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को लागू किये को लेकर भी खींचतान रही। विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में पारर्दिशता और जागरूकता पैदा करने के वास्ते मुख्यमंत्री ने तीन दिसम्बर को नई योजना ‘‘पीठा’’ की घोषणा की थी।
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भाजपा को राज्य में उस समय झटका लगा था जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उसके दो सदस्य - राउरकेला के विधायक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप रे और बिजॉय मोहापात्रा ने पार्टी छोड़ दी थी। दिवंगत बीजू पटनायक के करीबी समझे जाने वाले वरिष्ठ नेता दामोदर राउत को बीजद से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने विभिन्न मंचों पर भ्रष्टाचार के बारे में बात की थी। इसके बाद राउत ने बीजू पटनायक के नाम से एक नई पार्टी का गठन किया।
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राज्य को इस वर्ष चक्रवाती तूफान ‘तितली‘ का भी सामना करना पडा और अक्टूबर में 17 जिलों के 128 ब्लॉकों में बाढ़ तथा भूस्खलन से 75 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और लगभग 60.31 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य के कई हिस्सों में उग्रवाद एक गंभीर खतरा बना रहा। ओडिशा में जनवरी और 15 नवम्बर, 2018 के बीच माओवादी हमले में 12 लोगों की मौत हुई। 

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