भारतीय वायुसेना ने रच डाला इतिहास,  पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग पर उतरा सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस

Edited By vasudha,Updated: 09 Sep, 2021 11:19 AM

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केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने राजस्थान के बाड़मेर के गंधव-बाखासर खंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर बने ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ईएलएफ) का उद्घाटन किया। भारतीय वायुसेना के एक विमान में दोनो मंत्रियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर कृत्रिम...

नेशनल डेस्क: केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने राजस्थान के बाड़मेर के गंधव-बाखासर खंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर बने ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ईएलएफ) का उद्घाटन किया। भारतीय वायुसेना के एक विमान में दोनो मंत्रियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर कृत्रिम आपातकालीन लैंडिग की। एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है जिसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया जाएगा।

 

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय वायु सेना के लिए आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के वास्ते एनएच-925ए के सट्टा-गंधव खंड के तीन किलोमीटर के हिस्से पर इस आपातकालीन पट्टी का निर्माण किया है। अक्टूबर 2017 में, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू एवं परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग की थी ताकि यह दिखाया जा सके कि ऐसे राजमार्गों का उपयोग वायुसेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए किया जा सकता है।

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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, जोकि एक राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है, उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है। यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है। ‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं ।

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यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर और जालौर जिलों के गांवों के बीच सम्पर्क में सुधार करेगी। इसके पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना को निगरानी करने में मदद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भी सहायता मिलेगी। ऐसा पहली बार हुआ कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल आपात स्थिति में विमान उतारने के लिए किया जाएगा। इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में वायु सेना/भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तीन हेलीपैड (प्रत्येक का आकार 100 x 30 मीटर) का निर्माण किया गया है, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण का आधार होगा।

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