Edited By Shubham Anand,Updated: 06 Aug, 2025 04:16 PM

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर स्पष्ट और तीखे शब्दों में अपना रुख रखा। दिल्ली में आयोजित वार्षिक ‘ट्राइडेंट व्याख्यान श्रृंखला’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए...
नेशनल डेस्क: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर स्पष्ट और तीखे शब्दों में अपना रुख रखा। दिल्ली में आयोजित वार्षिक ‘ट्राइडेंट व्याख्यान श्रृंखला’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को पाकिस्तान की ओर से होने वाली किसी भी हिंसक कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा। जनरल चौहान ने पाकिस्तान के तथाकथित "फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस थ्योरी" (पूर्ण-आयामी प्रतिरोध सिद्धांत) को चुनौती देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि भारतीय सेना इस सिद्धांत के अंतर्गत आने वाले किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की धरती पर कोई भी आतंकवादी सुरक्षित नहीं है, चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में छिपा हो। उन्होंने यह दोहराया कि भारतीय सशस्त्र बलों को स्थिर और गतिशील दोनों प्रकार के दूरवर्ती लक्ष्यों को भेदने की क्षमता विकसित करनी होगी।
हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना होगा
CDS जनरल चौहान ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि युद्ध और शांति के बीच की रेखा अब धुंधली होती जा रही है, और इस बदलते परिदृश्य में सशस्त्र बलों को 365 दिन, चौबीसों घंटे पूरी तैयारी के साथ तैनात रहना होगा।
उन्होंने कहा, "हमें पाकिस्तान की तरफ से होने वाली किसी भी तरह की हिंसक कार्रवाई का जवाब देने के लिए हर समय तैयार रहना होगा – चाहे वह हमला देश के भीतर से हो या सीमा पार से। यही नया सैन्य मानदंड है, जिसे हमें समझना और अपनाना होगा।”
पारंपरिक युद्धक्षेत्र में अधिक स्थान बनाने की आवश्यकता
जनरल चौहान ने भारत की रक्षा रणनीति में परमाणु और अपरंपरागत क्षेत्रों के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक अभियानों के लिए अधिक स्थान बनाना समय की मांग है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में परमाणु नीति पर निर्भरता बढ़ेगी, और यही पारंपरिक सैन्य रणनीति की आधारशिला बनेगी। CDS ने यह भी कहा कि भारत को अपने विरोधियों की तुलना में तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और उन्नत होना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह प्रतिस्पर्धा केवल सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि तकनीक के क्षेत्र में बढ़त भी राष्ट्र की सुरक्षा का एक प्रमुख स्तंभ बन चुकी है।