अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा, राजस्थान कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए भेजा नोटिस

Edited By Updated: 27 Nov, 2024 08:47 PM

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राजस्थान के अजमेर स्थित प्रसिद्ध ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल (मंदिर) बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है। यह याचिका हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए अजमेर पश्चिम...

नेशनल डेस्क : राजस्थान के अजमेर स्थित प्रसिद्ध ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल (मंदिर) बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है। यह याचिका हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल ने 20 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है और सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया है।

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क्यों दायर की गई याचिका?
हिंदू संगठन लंबे समय से अजमेर दरगाह को एक हिंदू मंदिर बताने का दावा कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह दरगाह दरअसल एक शिव मंदिर था, जिसे बाद में दरगाह के रूप में स्थापित कर दिया गया। साल 2022 में महाराणा प्रताप सेना ने भी इस मुद्दे को उठाया था, और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं केंद्र सरकार से जांच की मांग की थी। उनका दावा था कि दरगाह की खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान थे, जो हिंदू पूजा स्थलों में आम होते हैं।

संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा
उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक याचिका में मस्जिद को "हरिहर मंदिर" बताने की मांग की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। 19 और 24 नवंबर को हुए सर्वे के दौरान, जब सर्वे टीम को मस्जिद में जाने की अनुमति दी गई, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इसके बाद हिंसा भड़क उठी, और लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया, पथराव किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

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पुलिस को करना पड़ा आंसू गैस का इस्तेमाल
स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। कई उपद्रवियों को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बावजूद सर्वे टीम ने अपना काम पूरा किया और रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी। अदालत में इस मामले पर सभी पक्षों को अपनी राय देने का मौका मिलेगा।

संभल की शाही जामा मस्जिद: मंदिर या मस्जिद?
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मस्जिद वास्तव में एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मस्जिद के खंभों और अन्य संरचनाओं में हिंदू मंदिरों से जुड़े डिजाइन और अवशेष मिले हैं। यह रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के अंदर कुछ खंभे ऐसे हैं, जिन्हें प्लास्टर लगाकर छिपाया गया था, और जब इन पर से प्लास्टर हटाया गया, तो पुराने हिंदू मंदिरों के डिजाइन वाले खंभे सामने आए।

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ASI की रिपोर्ट और अदालत में मामला
ASI की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद में कई ऐसे संकेत और अवशेष पाए गए हैं, जो इसकी प्राचीनता और हिंदू मंदिर से जुड़े होने की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, यह मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है और सर्वे के बाद की रिपोर्ट अदालत में पेश की जाएगी, जिससे इस विवाद पर आगे की स्थिति साफ हो सकेगी।

अजमेर और संभल में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवादों की स्थिति अब अदालतों में पहुंच चुकी है। अजमेर की दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने की याचिका पर सुनवाई जारी है, जबकि संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा और विरोध प्रदर्शनों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। इन दोनों मामलों में अदालत के फैसले के बाद ही सच्चाई का पता चल सकेगा।

 

 

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