Cloudburst Alert: उत्तराखंड के चमोली में बादल फटा, अलकनंदा-मंदाकिनी नदियां दिखाने लगी प्रकोप, चंबा में 7 की मौत, मोबाइल नेटवर्क ठप

Edited By Updated: 29 Aug, 2025 08:39 AM

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उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। पहाड़ों की गोद में बसे गांव एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गए हैं। चमोली जिले के देवाल क्षेत्र के मोपाटा गांव में बादल फटने की घटना ने लोगों की सांसें रोक दी हैं। भारी मलबे और...

नेशनल डेस्क:  उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। पहाड़ों की गोद में बसे गांव एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गए हैं। चमोली जिले के देवाल क्षेत्र के मोपाटा गांव में बादल फटने की घटना ने लोगों की सांसें रोक दी हैं। भारी मलबे और तेज बहाव ने पूरे गांव में हड़कंप मचा दिया है।

लोग लापता और घायल, गौशाला तबाह
इस हादसे में दो ग्रामीण -तारा सिंह और उनकी पत्नी- लापता हो गए हैं, जबकि विक्रम सिंह और उनकी पत्नी घायल हुए हैं। घायलों को उपचार के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया है। वहीं, एक गौशाला मलबे में पूरी तरह दब गई, जिसमें 15 से 20 मवेशियों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन दुर्गम क्षेत्र और लगातार बारिश के कारण कार्यों में बाधाएं आ रही हैं।

मुख्यमंत्री ने दी जानकारी, राहत कार्यों का निर्देश
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर इस हादसे को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि चमोली के देवाल और रुद्रप्रयाग के बड़ेथ डुंगर क्षेत्र में बादल फटने से हालात बिगड़ गए हैं। कई परिवार प्रभावित हुए हैं और कुछ फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन को तेज गति से राहत कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद हालात पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार संबंधित अधिकारियों से संपर्क में हैं।

रुद्रप्रयाग में नदियों का प्रकोप
अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ चुका है। खासकर संगम क्षेत्र में हालात बेहद चिंताजनक हैं। अलकनंदा नदी ने चेतावनी सीमा पार कर ली है, जिससे आसपास के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है।

हनुमान मंदिर डूबा, पुल बहा
रुद्रप्रयाग जिले का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर अब नदी की तेज धार में डूब चुका है, जो आपदा की भयावहता को दर्शाता है। वहीं, केदारनाथ की ओर जाने वाले लवारा गांव के पास बना मोटरमार्ग पुल नदी की तेज धारा में बह गया है। इससे आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। छेनागाड़ और आसपास के इलाकों में भी हालात गंभीर बने हुए हैं।

सरकार और एजेंसियां अलर्ट पर
प्रशासन, SDRF और आपदा प्रबंधन की टीमें सक्रिय हो गई हैं। राहत शिविर लगाए गए हैं, और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे नदी किनारों से दूर रहें और अफवाहों पर ध्यान न दें।

वहीं दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में बारिश के बाद आई भीषण आपदा ने कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी है। भारी भूस्खलन और मलबे के कारण 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कम से कम 9 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है लेकिन लगातार खराब मौसम और कटे हुए रास्ते राहत कार्य में बड़ी बाधा बन रहे हैं।

मोबाइल नेटवर्क बंद, गांवों से संपर्क टूटा
बारिश और भूस्खलन की वजह से मोबाइल टावर और बिजली लाइनों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे प्रभावित इलाकों में मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हो गया है। कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट चुका है। हालात ऐसे हैं कि न पीने का पानी उपलब्ध है, न ही सही तरीके से सूचना आदान-प्रदान हो पा रहा है।


 

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