सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी को अपशब्‍द कहना आत्‍महत्‍या के लिए उकसाना नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Dec, 2018 03:29 PM

do not provoke someone to commit suicide supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी को अपशब्द कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए एक व्यक्ति की तीन साल की सजा खत्म करते हुए उसे मुक्त कर दिया।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी को अपशब्द कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए एक व्यक्ति की तीन साल की सजा खत्म करते हुए उसे मुक्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने मृतक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट को भी खारिज कर दिया। दरअसल व्यक्ति पर आत्महत्या के लिए उसकावे का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि किसी को अपशब्द कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं हो सकता है। अर्जुन ने मृतक गोपाल को 80 हजार रुपए दिए। गोपाल ने काफी समय तक उधार नहीं चुकाया था। गोपाल द्वारा रुपए न दिए जाने पर अर्जुन ने उसे अपशब्द कहे थे।

अर्जुन द्वारा अपशब्द कहे जाने पर गोपाल खुद को अपमानित महसूस कर रहा था जिसके चलते उसने सुसाइड कर लिया। मरने से पहले उसने सुसाइड नोट भी लिखा कि वह अर्जुन के पैसे नहीं चुका पाया और अपमानित महसूस होने पर आत्महत्या कर रहा है। सुसाइड नोट के आधार पर अर्जुन पर केस चलाया गया था। ट्रायल कोर्ट ने अर्जुन को दोषी ठहराया था और तीन साल की सजा सुनाई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को खारिज कर दिया।

जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अपशब्द कहकर किसी को अपनामित करना उसके आत्महत्या का कारण नहीं हो सकता। बेंच ने कहा कि सुसाइड नोट से यह साबित नहीं होता कि अर्जुन ने किसी मंशा के तहत ऐसा किया। सबूतों के आधार पर अर्जुन गोपाल की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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