तेलंगाना के बाद अब राजस्थान में कुत्तों ने एक महीने के बच्चे को नोंच-नोचकर मार डाला, जवाबदेही को लेकर तेज हुई बहस

Edited By rajesh kumar,Updated: 01 Mar, 2023 02:12 PM

dogs now killed a month old baby in rajasthan

राजस्थान के सिरोही में एक सरकारी अस्पताल में अपनी मां के पास सो रहे एक महीने के बच्चे को कुत्ते उठाकर ले गए और नोंच-नोचकर उसे मार डाला। ऐसा नहीं है कि यह इस प्रकार का पहला मामला है।

नेशनल डेस्क: राजस्थान के सिरोही में एक सरकारी अस्पताल में अपनी मां के पास सो रहे एक महीने के बच्चे को कुत्ते उठाकर ले गए और नोंच-नोचकर उसे मार डाला। ऐसा नहीं है कि यह इस प्रकार का पहला मामला है। देश के गांवों और कस्बों में तो दिल दहला देने वाली अक्सर ऐसी दुखद घटनाएं सुनने को मिलती हैं। ऐसे में कुत्तों के हमलों को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है।

इसके लिए कौन जवाबदेह है?
सवाल उठ रहे हैं कि इसके लिए कौन जवाबदेह है? कुत्ते इतने हिंसक और आक्रामक कैसे हो जाते हैं? इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है? मालूम हो कि तेलंगाना के हैदराबाद में हाल ही में आवारा कुत्तों के एक झुंड ने पांच साल के एक बच्चे पर हमला कर दिया था। इस हमले में बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। दिल दहला देने वाली इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रहा।

घटना सीसीटीवी में कैद
ताजा मामले में सिरोही पुलिस ने बताया कि घटना सोमवार देर रात की है जब बच्चा अपनी मां के पास सो रहा था और एक आवारा कुत्ता उसे उठाकर ले गया। उन्होंने बताया कि बच्चे का शव बाद में अस्पताल परिसर में ही मिला। पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में दो कुत्ते अस्पताल के टीबी वार्ड के अंदर जाते दिख रहे हैं जबकि बाद में एक कुत्ता, शिशु को मुंह में दबाए वार्ड से बाहर निकलते दिख रहा है।

खुला घूमने वाला कुत्ता हमेशा खतरनाक
गाजियाबाद में रहने वाली शिक्षिका सुरेखा त्रिपाठी ने कहा, “खुला घूमने वाला कुत्ता हमेशा खतरनाक होता है, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए जो अपना बचाव नहीं कर सकते। या तो सभी आवारा कुत्तों को आवासीय क्षेत्रों से हटा दें, या उन्हें एक अलग निर्जन क्षेत्र में रखें जहां पशु प्रेमी जाकर उन्हें भोजन खिला सकें या उनकी देखभाल कर सकें।” त्रिपाठी इस मुद्दे पर हुईं कई परिचर्चाओं में हिस्सा ले चुकी हैं।

एक ओर त्रिपाठी जैसे कुछ लोगों का कहना है कि कुत्तों के मिजाज का कुछ पता नहीं होता और उन्हें रिहायशी इलाकों के आसपास से हटा दिया जाना चाहिए तो दूसरी ओर पशु अधिकार विशेषज्ञों का तर्क है कि कुत्ते अपनी, अपने बच्चों की व इलाके की सुरक्षा करने और भूख के कारण आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में इस समस्या का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान नसबंदी और टीकाकरण है।

कुत्ते का काटना या हमला करना स्वाभाविक व्यवहार नहीं
‘पीपुल फॉर एनिमल्स’ की अंबिका शुक्ला ने कहा कि कुत्ते का काटना या हमला करना स्वाभाविक व्यवहार नहीं है। कुत्ते आत्मरक्षा में आक्रामक हो सकते हैं। इसके अलावा जब उन्हें लगता है कि उनके बच्चों को खतरा है तो भी वे आक्रामक हो सकते हैं। साथ ही कुत्ते संभोग के सीजन में उत्तेजित हो जाते हैं। शुक्ला ने  कहा, ‘‘लोगों का इन घटनाओं को एक साथ जोड़कर सभी कुत्तों को एक नजर से देखना सही नहीं है। आमतौर पर चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की प्रवृत्ति देखी जाती है और कुत्तों को इसके बहुत ही गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।’’

2019 में देश में 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते थे
उन्होंने कहा कि अदालत के निर्देशानुसार कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण नहीं किया जाना, इन जानवरों की गलती नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी नगर निकाय नियमित रूप से ऐसा करने के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। हर जगह इस कार्यक्रम (पशु जन्म नियंत्रण) को अपनाया गया है और यह आवारा पशुओं की आबादी को नियंत्रित करने का एकमात्र सिद्ध वैज्ञानिक तरीका है।’’ नवीनतम पशुधन गणना के अनुसार, 2019 में देश में 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते थे। इनमें से उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 20.59 लाख और उसके बाद ओडिशा में 17.34 लाख कुत्ते थे।

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