पटरी पर लौटा पटाखों का कारोबार, व्यापारी भी हुए खुश...दो साल बाद 6 हजार करोड़ के बिके पटाखे

Edited By rajesh kumar,Updated: 30 Oct, 2022 11:27 AM

fireworks business back on track

राष्ट्रीय राजधानी को छोड़कर पूरे देश में दीपावली पर खुदरा पटाखों की करीब छह हज़ार करोड़ रुपये की बिक्री हुई, जिसके बाद पटाखा उद्योग ने राहत की सांस ली है। कारोबारियों को इस बात की खुशी है कि उनकी दुकान में इस साल बिक्री का माल नहीं बचा है।

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी को छोड़कर पूरे देश में दीपावली पर खुदरा पटाखों की करीब छह हज़ार करोड़ रुपये की बिक्री हुई, जिसके बाद पटाखा उद्योग ने राहत की सांस ली है। कारोबारियों को इस बात की खुशी है कि उनकी दुकान में इस साल बिक्री का माल नहीं बचा है। उद्योग के एक नेता ने कहा, पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस साल बिक्री अधिक हुई है, लेकिन मूल्य के संदर्भ में देखा जाए तो 2022 का कारोबार कमोबेश 2016 और 2019 के बीच के व्यावसायिक रुझानों के समान रहा है।

‘तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड अमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन' (टीएएनएफएएमए) के अध्यक्ष, गणेशन पंजुराजन ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद, कच्चे माल की कीमत 50 प्रतिशत तक बढ़ गई और आज तक इसमें गिरावट नहीं आई है। उन्होंने बताया, ‘‘स्वाभाविक रूप से, इसके परिणामस्वरूप उत्पाद की कीमतों में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान छह हज़ार करोड़ रुपये का खुदरा कारोबार केवल एक मूल आंकड़ा है, यह मूल्य वृद्धि जैसे पहलुओं को दर्शाता है।''
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किसी कारोबारी के पास बिक्री का माल नहीं बचा
उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान वर्ष का कारोबार मूल्य के लिहाज से 2016 से 2019 तक दिवाली के दौरान के कारोबार के समान रहा है। इस अवधि के दौरान, प्रत्येक वर्ष लगभग चार से पांच हज़ार करोड़ रुपये की ब्रिक्री होती थी। बिना बिके माल के बार में पूछे जाने पर, सोनी फायरवर्क्स के निदेशक गणेशन ने कहा, ‘‘हम लोगों में से किसी कारोबारी के पास बिक्री का माल नहीं बचा है।'' उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा माल महाराष्ट्र में बिका, इसके बाद उत्तर प्रदेश-बिहार क्षेत्र और गुजरात रहा।
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लोगों ने पटाखों पर खूब पैसा खर्च किया
गणेशन कहा, ‘‘निश्चित रूप से, मुंबई और शेष महाराष्ट्र में कुल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा खरीदा गया।'' उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, कोविड-19 के दो वर्षों के अंतराल के बाद देश भर में लोग पटाखों पर पैसे खर्च करने के लिए आगे आए। गणेशन ने कहा, ‘‘सभी प्रकार के पटाखों का निर्माण किया गया था, जो उच्चतम न्यायालय और सरकारी अधिकारियों के दिशानिर्देशों के अनुसार हरित-पटाखों की श्रेणी में आते थे।'' तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में शिवकाशी क्षेत्र आतिशबाजी उद्योग का राष्ट्रीय केंद्र है।

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