Edited By vasudha,Updated: 09 Oct, 2019 02:47 PM
वर्तमान दौर में पर्यावरण असंतुलन की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वॉर्मिंग है। इसकी वजह से जहां पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है तो वहीं मानव जीवन के कदम भी विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है...
नेशनल डेस्क: वर्तमान दौर में पर्यावरण असंतुलन की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वॉर्मिंग है। इसकी वजह से जहां पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है तो वहीं मानव जीवन के कदम भी विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल अफ्रीका महाद्वीप में बनाए गए वॉल के तर्ज पर सरकार 1,400 किलोमीटर लंबी ‘ग्रीन वॉल’ बनाने जा रही है।
‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’ को गुजरात से लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमा तक विकसित किया जाएगा। इसकी लंबाई 1,400 किलोमीटर होगी, जबकि यह 5 किलोमीटर चौड़ी होगी। खबरों के मुताबिक, कई मंत्रालयों ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है। अगर इसपर मुहर लग जाती है प्रदूषण की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिल सकता है।
ये वॉल गुजरात के पोरबंदर से हरियाणा के पानीपत को कवर करेगी। इसके साथ ही गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली अरावली की पहाड़ियों पर घटती हरियाली के संकट को भी कम किया जा सकेगा। इतना ही नहीं 'ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' से हर साल पाकिस्तान और राजस्थान की तरफ से दिल्ली आने वाली धूल से भी निजात मिलेगी।
इसरो ने 2016 में एक तस्वीर जारी की थी जिसके मुताबिक गुजरात, राजस्थान और दिल्ली ऐसे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हैं, जहां 50 फीसदी से ज्यादा भूमि हरित क्षेत्र से बाहर है। इस कारण इन क्षेत्रों में रेगिस्तान का दायरा बढ़ रहा है। बता दें कि अफ्रीका में क्लाइमेट चेंज और बढ़ते रेगिस्तान से निपटने के लिए हरित पट्टी को तैयार किया गया है। इसे 'ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ सहारा' भी कहा जाता है।