Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Sep, 2025 01:34 PM

सोने की कीमतों ने मंगलवार को नया कीर्तिमान स्थापित किया, जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में स्पॉट गोल्ड की कीमतें $3,759.02 प्रति औंस तक जा पहुंचीं। हालांकि दिन के अंत तक इसमें थोड़ी गिरावट आई और यह $3,743.39 पर बंद हुआ। डॉलर की कमजोरी ने निवेशकों को सोने...
नेशनल डेस्क: सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन इस चकाचौंध के पीछे एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। दुनियाभर के निवेशक जहां सोने को सुरक्षित निवेश मानकर उसकी ओर दौड़ लगा रहे हैं, वहीं दुनिया के सबसे बड़े बैंक JPMorgan ने बड़ा अलर्ट जारी किया है। बैंक के सीईओ जेमी डाइमन का साफ कहना है कि बाजार एक 'बुलबुले' की ओर बढ़ रहा है, जो कभी भी फट सकता है - और सबसे ज्यादा असर गोल्ड मार्केट पर पड़ सकता है। क्या सोने की मौजूदा रैली लंबे समय तक टिकेगी या ये एक बड़ा क्रैश आने से पहले की शांति है?
बता दें कि मंगलवार को सोने की कीमतों ने नया रिकॉर्ड बनाया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $3,759.02 प्रति औंस तक पहुंच गया। हालांकि दिन के अंत में थोड़ी गिरावट आई और यह $3,743.39 पर बंद हुआ। अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के कारण निवेशक सोने की ओर बढ़े, जिससे दिसंबर डिलीवरी के लिए गोल्ड फ्यूचर्स भी 0.1% बढ़कर $3,779.50 तक पहुंच गए।
इस समय निवेशक जोखिम भरी परिसंपत्तियों की जगह सुरक्षित ठिकानों की ओर रुख कर रहे हैं। खासकर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिज़र्व से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद इस रुझान को और बल दे रही है। हाल ही में फेड ने अपनी नीति दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की और आगे और नरमी का संकेत दिया है, हालांकि फेड के भीतर इस पर राय बंटी हुई है।
लेकिन इस तेजी के पीछे एक खतरे की घंटी भी बज रही है।
जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डाइमन ने मुंबई में आयोजित JPMorgan India Investor Conference में कहा कि मौजूदा हालात "बबल जैसी स्थिति" की ओर इशारा कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि स्टॉक्स, गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी जैसे एसेट्स में मौजूदा उछाल अस्थायी हो सकता है, और यह सब एक अत्यधिक आशावादी निवेश भावना का नतीजा है — जो अक्सर लंबे समय में नुकसान का कारण बनती है।
डाइमन ने इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि वो यह नहीं कह रहे कि मार्केट बबल में है, लेकिन "हम उस दिशा में जा जरूर रहे हैं।" उनका मानना है कि इस वक्त रिकॉर्ड स्तरों पर मौजूद स्टॉक्स, सोना और क्रिप्टोकरेंसी इस बात का संकेत हैं कि बाजार अपनी सामान्य गति से कहीं अधिक उफान पर है।
तकनीकी विश्लेषण से भी संकेत मिल रहे हैं कि यह तेजी अस्थायी हो सकती है।
OANDA के वरिष्ठ मार्केट विश्लेषक केल्विन वोंग ने कहा कि अल्पकालिक ट्रेंड अभी भी मजबूत बना हुआ है, लेकिन मौजूदा स्तरों से तकनीकी करेक्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर कीमतें गिरती हैं, तो $3,710 और $3,690 के स्तर अहम सपोर्ट ज़ोन होंगे।
इसी तरह ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश रणनीतिकार एस. नरेन ने भी तेज़ी को लेकर चिंता जताई। उन्होंने सोने और चांदी की कीमतों में आई हालिया तेज़ रैली को "चेतावनी संकेत" बताया। नरेन के अनुसार, रैली के बाद की गई खरीददारी दीर्घकालिक निवेशकों के लिए घाटे का सौदा बन सकती है, क्योंकि कीमती धातुएं न तो आय देती हैं और न ही पारंपरिक वैल्यूएशन मॉडल में फिट बैठती हैं।
उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि "डायवर्सिफिकेशन यानी विविधता ही असली कुंजी है।" उनका कहना है कि आमतौर पर निवेशक ऊंचे दाम पर खरीदते हैं और जब कीमतें गिरती हैं तो बेच देते हैं - और यही सबसे बड़ा खतरा है।
बाजार की निगाहें अब पूरी तरह से फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल पर टिकी हैं।
उनके आगामी बयान यह स्पष्ट कर सकते हैं कि मौद्रिक नीति किस दिशा में जा रही है। साथ ही, फेड के नए गवर्नर स्टीफन मीरन ने भी यह संकेत दिया है कि यदि फेड ब्याज दरों में और आक्रामक कटौती नहीं करता, तो अमेरिकी श