Edited By Yaspal,Updated: 02 Nov, 2018 06:17 PM
31 अक्टूबर को सरदार बल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण होने के बाद लोगों की नजर छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के अनावरण पर हैं। इसी बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते...
नेशनल डेस्कः 31 अक्टूबर को सरदार बल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण होने के बाद लोगों की नजर छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के अनावरण पर हैं। इसी बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए छत्रपति शिवाजी स्मारक पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र में कई जगहों पर सूखे जैसे हालात हैं। इस कारण लोग मूर्ति के निर्माण पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा
याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र में सूखे के हालात हैं, ऐसे में मूर्ति पर ध्यान देने के बजाय दूसरे मुद्दे भी हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में तर्क दिया कि इस पैसे को कहीं सही जगह लगाकर बिगड़ रही स्थिति को सुधारा जा सकता है। बिगड़ती स्थिति को देखने की बजाय सरकार 3600 करोड़ रुपए स्मारक पर खर्च कर रही है।
बता दें कि देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के सम्मान में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। यह स्टैच्यू दो भारतीय कंपनियों ने मिलकर 45 महीने में तैयार किया है। विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा (182 मीटर) को बनाने में करीब 2979 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिसमें से अधिकांश पैसा गुजरात सरकार ने दिया है। केंद्र सरकार ने भी मदद की थी।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में कितना लगा वक्त
इस मूर्ति निर्माण के लिए सरकार ने एक ट्रस्ट का भी गठन किया था। जिसका नाम था, (सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट) इसके जिम्मे ही पूरी निर्माण प्रक्रिया थी। देश की दिग्गज इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टुर्बो (L&T) और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के 250 इंजीनियर और 3400 मजदूरों ने मिलकर करीब 45 महीनों में इस प्रतिमा को तैयार किया है।