बे-खौफ होकर हाईकोर्ट के आदेशो की धज्जियां उड़ा रहे ओवरलोडिंग टिप्पर, प्रशासन का रवैया ढीला

Edited By ,Updated: 05 Dec, 2016 12:49 PM

high court orders to tear overloading tipper

न्यू चंडीगढ की सड़कों पर बे-खौफ होकर ओवरलोडिंग टिप्पर-ट्रक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

नयागांव (मुनीष): न्यू चंडीगढ की सड़कों पर बे-खौफ होकर ओवरलोडिंग टिप्पर-ट्रक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब कुछ जिला प्रशासन और जिला ट्रांसपोर्ट अधिकारी के ढीलेपन के चलते हो रहा है। प्रशासन के इस ढीलेपन रवैये का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। रेता,-बजरी, पत्थर आदि से ओवरलोड टिप्पर-ट्रकों के बारे में जानकारी देते मुल्लांपुर गरीबदास के अरवीद पूरी गुरजीत सिंह, बलजीत सिंह,मोहन लाल, देव कुमार,व भूपिंद्र सिंह ने बताया कि न्यू चंडीगढ़ की सड़कों पर बिना डर के ओवरलोडिंग इन टिप्परों को देखा जा सकता है। इसके अलावा इनमें लोड किया गया रेत-बजरी और पत्थर ऐसे रखे होते हैं कि कभी भी एक पत्थर गिरने से जान-माल का नुक्सान हो सकता है। इन टिप्परों के चलते न्यू चंडीगढ़ के आसपास गांवों की सड़कें भी खस्ता हाल हो गई हैं। उन्होंने ट्रांसपोर्ट अधिकारी से ऐसे वाहन चालकों खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

 

हाईकोर्ट के आदेश हवा, वाहन चालक परेशान
इन  वाहनों चालकों में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां भी सरेआम उड़ाते हुए देखा जा सकता है। एक ओर जहां ओवर लोडिंग रेत को तिरपाल आदि से ढंका नहीं होता है। इस कारण पूरे रास्ते पर रेत उड़ती रहती है। इस कारण पीछे से आ रहे दोपहिया वाहन चालक ों की आंखों में यह रेत गिरती है। इस कारण हादसा भी हो सकता है। वहीं हाईकोर्ट ने जनता की सुरक्षा के मद्देनजर रेत से भरे वाहनों को ढक कर सड़कों पर चलाने के आदेश दिए हैं पर इसके बावजूद आदेशों का कोई पालन नहीं हो रहा है। वहीं कई वाहनों पर न तो नंबर प्लेट होती है और कब कहां अचानक ब्रेक लगा दे कुछ नहीं पता चलता जिस कारण कई बार बड़े हादसे हुए हैं। 

 

यह सड़क बनी टिप्पर वाहन सड़क
न्यू चंडीगढ में ग्माडा की ओर से जनता की सहुलियत के लिए गांव तोगा से लेकर गांव बूथगढ़ तक फोरलेन नई सड़क बनाई गई है लेकिन इस सड़क पर शाम के बाद रेत व बजरी के टिप्पर ही दिखाई देते हैं। ये सड़क तो टिप्पर सड़क बन गई है। साथ ही न्यू चंडीगढ़ की सड़कों पर खुलेआम यह टिप्पर दिखाई देते हैं लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह टिप्पर मालिकों की राजनीतिक शरण भी है। इस कारण इनके खिलाफ कोई ठोस कारवाई नहीं होती । इस कारण यहां ऐसे मनमर्जी से काम होते हैं। 

 

नदियों में खोद रखे हैं गहरे गड्ढे 
क्षेत्र में की कई नदियों में इन टिप्पर चालकों की ओर से गहरे गड्ढे खोद कर रेत निकाल कर बेची जा रही है। लोगों ने बताया कि इन रेत बजरी माफिया का काम रात को चलता है लेकिन इन के खिलाफ इस क्षेत्र में किसी भी सरकारी अधिकारियों की ओर से कोई कड़ा अभियान नहीं चलाया गया है । 

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