Edited By rajesh kumar,Updated: 29 Mar, 2024 07:00 PM
राष्ट्रीय राजधानी में एक विशेष अदालत ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने को लेकर दोषी करार दिए गए व्यक्ति को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए कहा है कि यह एक निर्मम अपराध है और इसपर कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।
नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी में एक विशेष अदालत ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने को लेकर दोषी करार दिए गए व्यक्ति को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए कहा है कि यह एक निर्मम अपराध है और इसपर कोई नरमी नहीं बरती जा सकती। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पूनिया 44 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे अदालत ने जनवरी में दोषी करार दिया था। अभियोजन ने व्यक्ति को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों और बलात्कार के लिए दंडनीय प्रावधानों के तहत आरोपित किया था।
अदालत ने कहा, ‘‘अपराध की पैशाचिक प्रकृति और यह तथ्य कि पीड़िता, दोषी की बेटी थी और उसकी देखभाल और संरक्षण में थी, स्पष्ट रूप से दोषी की उम्र सहित उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है।'' दोषी व्यक्ति ने दलील दी थी कि अपने परिवार का गुजारा करने की जिम्मेदारी उसी पर है और परिवार में उसके बूढ़े माता-पिता, उसकी पत्नी और चार बच्चे हैं। उसने यह भी कहा था कि शराब के नशे में, वह यह भेद नहीं कर सका था कि वह (पीड़िता) उसकी बेटी थी या पत्नी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं दोषी की सजा कम करने की दलील से प्रभावित नहीं हूं। मैं ऐसे पिता की कल्पना नहीं कर सकती जो अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के बीच अंतर नहीं कर सकता। वैसे भी, यह पैशाचिक कृत्य एक बार नहीं किया गया बल्कि उसने अपनी नाबालिग बेटी के साथ कई बार बलात्कार किया और उसे गर्भवती कर दिया।'' न्यायाधीश ने 22 मार्च के एक फैसले में कहा कि दोषी व्यक्ति अधिकतम दंड पाने का हकदार है।
अदालत ने उल्लेख किया कि पीड़िता ने जब शिशु को जन्म दिया था उस वक्त उसकी (पीड़िता की) आयु 17 वर्ष थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान दोषी ने अपनी बेटी को एक पत्र लिखा था और उसे भावनात्मक रूप से ‘ब्लैकमेल' करने की कोशिश की थी। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उम्र कैद की सजा न्याय प्रदान करेगा और समाज के हित में होगा।''