नए साल में ऋषि सुनक का ऐलान, ब्रिटेन में लाखों भारतीयों को लगा बड़ा झटका

Edited By Mahima,Updated: 02 Jan, 2024 01:26 PM

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माइग्रेंट्स की बढ़ती संख्या में भारी इजाफे के कारण ब्रिटेन ने अपने वीजा नियमों को सख्त बना दिया है। इन नए नियमों के तहत अब ब्रिटेन जाने वाले लोग अपने परिवार के किसी भी सदस्य को साथ नहीं ला सकेंगे। ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली ने सोमवार को...

नेशनल डेस्क: नए साल की शुरूआत पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने लाखों की तादाद में रह रहे प्रवासियों को बड़ा झटका दिया है। माइग्रेंट्स की बढ़ती संख्या में भारी इजाफे के कारण ब्रिटेन ने अपने वीजा नियमों को सख्त बना दिया है। इन नए नियमों के तहत अब ब्रिटेन जाने वाले लोग अपने परिवार के किसी भी सदस्य को साथ नहीं ला सकेंगे। 1 जनवरी से ब्रिटेन में वीजा को लेकर नए नियम प्रभावी हो गए हैं। सुनक ने एक्‍स वेबसाइट पर ऐलान किया कि आज से यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे ज्‍यादातर व‍िदेशी स्‍टूडेंट अपने परिवार को ब्रिटेन नहीं ला सकेंगे। 

वहीं ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली ने सोमवार को कहा कि अब नए नियमों को लागू किया जा रहा है, जिसके तहत इस महीने ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम शुरू करने वाले भारतीयों सहित अंतर्राष्ट्रीय छात्र अब सोमवार से प्रभावी यूके वीजा मानदंडों के तहत सरकार द्वारा funded scholarship courses और postgraduate research courses को छोड़कर अब कोई भी अपने परिवार के सदस्यों को अपने साथ नहीं ला सकता है।

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पिछले साल 7 लाख से ज्यादा लोगों ने किया था रूख

दरअसल, पिछले एक साल में सात लाख से ज्यादा लोगों ने ब्रिटेन की ओर रुख किया था। अवैध रूप से ब्रिटेन आने वाले प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से बनाई गई रवांडा पॉलिसी को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी बताया था, जिसके बाद से ही सरकार पर वीजा कानूनों को सख्त करने का दबाव बना हुआ था। ब्रिटेन के नए गृह सचिव बने क्लेवरली ने सोमवार को कहा कि इमिग्रेशन पॉलिसी, निष्पक्ष, सुसंगत, कानूनी और टिकाऊ होनी चाहिए। यह नए कानुन यूके में काम करने के लिए छात्र वीजा का उपयोग करने वाले लोगों पर लगाम लगाना है और अनुमान है कि अब पिछले साल की तुलना में भविष्य में लगभग 140,000 कम प्रवासी ब्रिटेन आएंगे। 

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गृह कार्यालय ने कहा कि छात्र वीजा में बदलाव यूके के विश्व-अग्रणी उच्च शिक्षा क्षेत्र के आकर्षण को बनाए रखने के लिए "सही संतुलन" बनाता है, जबकि संस्थानों द्वारा "शिक्षा नहीं, बल्कि आव्रजन बेचकर यूके की प्रतिष्ठा को कमजोर करने की क्षमता को हटा दिया जाता है।"ब्रिटेन के कानूनी प्रवासन और सीमा मंत्री टॉम पर्सग्लोव ने कहा, “हमारे world-leading universities दुनिया भर के कुछ सबसे प्रतिभाशाली छात्रों को UK की और आकर्षित करती हैं। लेकिन हमने छात्रों द्वारा लाए जा रहे डेपेंडेंट्स की संख्या में वृद्धि देखी है, जो प्रवासन के अस्थिर स्तर में योगदान दे रही है। 

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मिनिमम वेतन में भी हुआ बड़ा बदलाव
इमिग्रेशन की संख्या को कम करने के लिए ब्रिटेन सरकार ने अपने नए नियमों के तहत skilled workers के लिए मिनिमम सैलरी पैकेज पहले की तुलना में लगभग 50 फीसदी ज्यादा कर दिया है। पहले skilled workers के लिए जारी होने वाले वीजा की मिनिमम सैलरी पैकेज 26200 पाउंड सलाना थी, जिसे अब बढ़ाकर 38,700 पाउंड कर दिया जाएगा।इसके अलावा फैमिली वीजा के लिए भी मिनिमम सैलरी को बढ़ाकर 38,700 पाउंड सलाना कर दीया है। साथ ही नए नियमों के तहत ब्रिटिश सरकार ने यह सुनिश्चित करते हुए कहा कि प्रवासी केवल उन डिपेंडेंट्स को ही साथ लाए, जिन्हें वह खुद आर्थिक रूप से सहायता कर सकते हैं।

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क्या भारत पर होगा इसका असर?
इन नए नियमों का असर भारत के लोगों पर भी पड़ेगा, क्योंकि, स्वास्थ्य और देखभाल के क्षेत्र में काम करने हजारों-लाखों भारतीय हर साल ब्रिटेन के लिए जाते हैं। बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय लोग की कुल आबादी 14 लाख से ज्यादा है, जिसके कारण वहां की अर्थव्यवस्था में भारतीय लोग का एक अहम रोल है। 2011 में हुई ब्रिटैन की जनगणना के मुताबिक, ब्रिटेन में लगभग 14.13 लाख भारतीय लोग रहते हैं, जो वहां की कुल आबादी का 2.5% हिसा है। इसके अलावा ब्रिटेन में साढ़े तीन लाख से ज्यादा NRI लोगों की आबादी भी शामिल है। यह वोह लोग हैं जो  एक साल में 183 दिन या उससे ज्यादा समय तक विदेश में रहते हैं। 

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