Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 May, 2018 02:09 PM
16 मई से भगवान का प्रिय महीना पुरुषोत्तम मास (मलमास-अधिमास) आरंभ हो गया है। जब दो अमावस्या के बीच सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करते हैं तो मलमास होता है। एक वर्ष में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने आते हैं। कहते हैं इस
ये नहीं देखा तो क्या देखा
16 मई से भगवान श्री हरि विष्णु का प्रिय महीना पुरुषोत्तम मास (मलमास-अधिमास) आरंभ हो गया है। जब दो अमावस्या के बीच सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करते हैं तो मलमास होता है। एक वर्ष में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने आते हैं। कहते हैं इस दौरान धार्मिक कार्य करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है। मान्यता है की 1 महीने तक 33 करोड़ देवी-देवता बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में निवास करते हैं। यह भी कहा जाता है की इस स्थान पर भगवान शालीग्राम (श्री हरि विष्णु का एक रूप) का विधि-विधान से पूजन करने वाले व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां पर बने ब्रह्मकुंड पर संत-महात्माओं सहित पर्यटकों का भारी मेला लगा रहता है।
जगतपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड में यज्ञ किया तो 33 करोड़ देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। वह सभी यज्ञ में भाग लेने आए। जनश्रुति है की जब सभी देवी-देवता यज्ञ में भाग लेने आए तो एक ही कुंड में स्नानादि करने में उन्हें समस्या हुई, ब्रह्मा जी ने उनकी इस समस्या का निदान करने के लिए 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण किया।
ऐसा माना जाता है कि मलमास मेले के दौरान राजगीर के अतिरिक्त दूसरे स्थान पर पूजा-पाठ करने वाले लोगों को किसी तरह के फल की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि सभी देवी-देवता तो राजगीर में वास कर रहे होते हैं।
एक महीने तक जो व्यक्ति राजगीर में स्नान, दान और भगवान श्री हरि विष्णु की भक्ति करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और वह स्वर्गलोक में मिलने वाले आनंद का भागी बनता है।
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