भारत-अफगानिस्तान संबंध: कूटनीतिक खेल में भारत ने ‘सॉफ्ट पॉवर’ से पाकिस्तान को दी मात

Edited By Tanuja,Updated: 31 May, 2023 04:16 PM

india builds soft power in afghanistan bypassing pakistan

अफगानिस्तान हमेशा से अपनी भौगोलिक और सामरिक स्थिति की वजह से  ‘बड़ी ताकतों के खेल का मैदान’ रहा है। अफगानिस्तान पर अपने...

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान हमेशा से अपनी भौगोलिक और सामरिक स्थिति की वजह से  ‘बड़ी ताकतों के खेल का मैदान’ रहा है। अफगानिस्तान पर अपने वैचारिक और रणनीतिक नियंत्रण की जंग लड़ते आए हैं ताकि वो अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकें। फिलहाल, इस युद्ध में भारत का पलड़ा भारी दिख रहा है। अफगानिस्तान में अपनी धाक जमाने की इस रेस में भारत ने पाकिस्तान को बहुत पीछे छोड़ दिया है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है भारत का ‘सॉफ्ट पॉवर’। यहां पर कुदरती संसाधनों के बड़े भंडार भी हैं।

 

भारत और पाकिस्तान, अफगानिस्तान पर इन वजहों से और अन्य कारणों से भी अपनी पकड़ मज़बूत रखना चाहते हैं। दोनों देशों की क्षेत्रीय और घरेलू स्थिरता के लिए भी अफगानिस्तान में स्थायित्व जरूरी है। दोनों ही देश ये महसूस करते हैं कि अफगानिस्तान पर अपना प्रभाव जमाकर वो अपना रणनीतिक दायरा और अहमियत बढ़ा सकते हैं। भारत और पाकिस्तान दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच अपनी हस्ती बढ़ाने और छवि चमकाने के अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी  धाक जमाना चाहते हैं। भारत  विश्व की बड़ी ताक़त बनने से पहले क्षेत्रीय स्तर पर अपनी अहमियत साबित करना चाहता है और इसके लिए  लंबे समय से कला, संस्कृति, संगीत और फ़िल्मों के ज़रिए अपनी शक्ति का विस्तार करता रहा है।

 

अफगानिस्तान के मामले में भारत की सॉफ्ट पॉवर  कूटनीति का मकसद वहां के लोगों के दिल-ओ-दिमाग जीतना है ताकि वो वहां अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों की बुनियाद पर अपना असर बढ़ा सके। सच तो ये है कि  सॉफ्ट पावर के इस्तेमाल की वजह से भारत को अफगानिस्तान के लोगों का भरोसा जीतने और समर्थन हासिल करने में बड़ी मदद कामयाबी मिली है। भारत की इस कामयाबी से पाकिस्तान बौखला गया है। उसकी आंखों में भारत और अफगानिस्तान की ये नजदीकी चुभ रही है। हालांकि, पाकिस्तान का इरादा अफगानिस्तान में भारत का असर कम करना  है. लेकिन अपनी इसी संकुचित सोच की वजह से पाकिस्तान अपने इरादों में नाकाम रहा है।

 

 पाकिस्तान के अफगानिस्तान के साथ एक सदी से भी  पुराने संबंध हैं जिनका फायदा उठाकर पाकिस्तान वहां अपना प्रभाव और बढ़ा सकता था। पाकिस्तान के अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक, धार्मिक, जातीय, भाषाई और कारोबारी रिश्ते रहे हैं जिस वजह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान स्वाभाविक रूप से दोस्त बन सकते थे  लेकिन पाकिस्तान  संबंध बेहतर करने में नाकाम रहा है। पाकिस्तान, अपना असर बढ़ाने के लिए सैन्य शक्ति पर ज़्यादा भरोसा करता है ऐसा करने के चक्कर में वो अपनी सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल ही नहीं करता।

 

जबकि वो चाहता तो कला, संस्कृति और शिक्षा की मदद से अपनी विदेश नीति के लक्ष्य अफगानिस्तान में हासिल कर सकता था। इसके अलावा अफगानिस्तान में सक्रिय कई आतंकवादी और उग्रवादी संगठनों को भी पाकिस्तान पनाह देता है।माना जाता है कि पाकिस्तान सरकारें इन संगठनों को समर्थन देती हैं। ये बात भी पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं और इन्हीं वजहों से अफगान लोग पाकिस्तान को नापसंद करते हैं भारत को अपना सच्चा दोस्त और हमदर्द समझते हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!