रुस-चीन के साथ मिलकर क्या भारत बनाएगा त्रिपक्षीय संगठन? अमेरिका अंदर मच सकता है हड़कंप, जानिए

Edited By Updated: 18 Jul, 2025 04:58 PM

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भारत, चीन और रूस के त्रिपक्षीय संवाद (RIC) को पुनः सक्रिय करने के प्रयासों के बीच वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में कई नए ध्रुव बनने की संभावना बढ़ गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सबसे पहले इस संगठन को पुनर्जीवित करने की पहल की, जिसे चीन ने...

इंटरनेशनल डेस्क: भारत, चीन और रूस के त्रिपक्षीय संवाद (RIC) को पुनः सक्रिय करने के प्रयासों के बीच वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में कई नए ध्रुव बनने की संभावना बढ़ गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सबसे पहले इस संगठन को पुनर्जीवित करने की पहल की, जिसे चीन ने भी पूरी सहमति दी है। अब तीनों देशों में भारत की भूमिका पर निगाहें टिकी हैं, क्योंकि चीन और रूस दोनों भारत से इस संगठन को फिर से सक्रिय करने का इंतजार कर रहे हैं।

चीन ने किया रूस का समर्थन
रूस के इस प्रस्ताव को बीजिंग ने खुलकर समर्थन दिया है। चीन ने कहा है कि RIC त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता को भी मजबूत करता है। चीन इस संगठन को आगे बढ़ाने के लिए रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने को तैयार है। हालांकि भारत फिलहाल इस मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं कर रहा है।

रूस ने भारत और चीन के साथ शुरू की वार्ता
रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रूडेंको ने कहा है कि मॉस्को इस मुद्दे पर भारत और चीन के साथ लगातार संवाद कर रहा है और चाहता है कि RIC फॉर्मेट फिर से सक्रिय हो। यह तीनों देश BRICS के संस्थापक सदस्य होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण साझेदार भी हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन् जिआन ने भी कहा कि चीन इस त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत और रूस के साथ संवाद जारी रखना चाहता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि इस संगठन को पुनः सक्रिय करने का निर्णय सभी पक्षों के अनुकूल समय और परिस्थिति पर निर्भर होगा।

RIC से पश्चिमी देशों को क्या खतरा है?
रूस का मानना है कि RIC Eurasian महाद्वीप में एक समतुल्य सुरक्षा और सहयोगी संरचना बन सकता है, जो पश्चिमी गुटों के दबाव को संतुलित कर सके। तीनों देश अपनी सामरिक ताकत के चलते नाटो जैसे पश्चिमी गठबंधनों के लिए चुनौती बन सकते हैं। ऐसे में नाटो और अमेरिका को इस संगठन की पुनः सक्रियता को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है।

अमेरिका को सबसे ज्यादा टेंशन
RIC के पुनः सक्रिय होने से सबसे ज्यादा चिंता अमेरिका को होगी। चीन के साथ उसकी तीव्र प्रतिद्वंद्विता के बीच, अमेरिका भारत को अपने साथ बनाए रखना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी झुकाव के कारण भारत अमेरिका से दूरी भी बनाता दिख रहा है। माना जा रहा है कि RIC के पुनः सक्रिय होने के खतरे को देखते हुए ही अमेरिका ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार टीआरएफ को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया है, ताकि भारत अमेरिका के पाले से न हटे।

वर्ल्ड ऑर्डर बदलने की संभावना
इस त्रिपक्षीय संगठन के पुनः सक्रिय होने से न केवल अमेरिका, बल्कि नाटो और अन्य पश्चिमी देशों में भी वैश्विक शक्ति संतुलन बदलने की चिंता बढ़ सकती है। भारत, रूस और चीन तीनों यूरेशिया के प्रमुख देश हैं। भारत विश्व के विभिन्न महाद्वीपों के बीच संतुलन स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है। यदि भारत इस संगठन को सक्रिय करता है, तो यह विश्व राजनीति और वैश्विक व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। कई देश विवादों और वैश्विक समाधान के लिए नाटो और अमेरिका के बजाय RIC की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे अमेरिका की वैश्विक प्रभुसत्ता को चुनौती मिल सकती है।

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