Edited By Pardeep,Updated: 16 Dec, 2025 06:01 AM

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को भारत के साथ इस साल की शुरुआत में हुए एक अहम सैन्य समझौते को संघीय कानून के तौर पर मंज़ूरी दे दी, जिसे रूसी संसद के दोनों सदनों ने पहले ही पास कर दिया था।
इंटरनेशनल डेस्कः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को भारत के साथ इस साल की शुरुआत में हुए एक अहम सैन्य समझौते को संघीय कानून के तौर पर मंज़ूरी दे दी, जिसे रूसी संसद के दोनों सदनों ने पहले ही पास कर दिया था। दोनों देशों के बीच रसद समर्थन के आपसी आदान-प्रदान (रेलोस) समझौते को दो दिसंबर को स्टेट ड्यूमा (निचले सदन) और 8 दिसंबर को काउंसिल ऑफ़ फेडरेशन (ऊपरी सदन) ने मंज़ूरी दे दी थी। इस समझौते को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा गया था ताकि इसे संघीय कानून बनाया जा सके।
रेलोस समझौते में रूस की सैन्य फॉर्मेशन, युद्धपोतों और सैन्य विमानों को भारत भेजने तथा भारत की ओर से भी ऐसा किए जाने, उनके आपसी रसद समर्थन के संगठन की प्रक्रिया तय की गई है। स्थापित प्रक्रिया का इस्तेमाल संयुक्त अभ्यासों, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता, आपदा राहत प्रयासों और आपसी सहमति से तय किए गए अन्य मामलों में किया जाएगा। रूसी कैबिनेट के ‘एक्सप्लेनेटरी नोट' में बताया गया है कि यह समझौता न सिर्फ सैनिकों और उपकरणों को भेजने बल्कि उनकी रसद को भी विनियमित करेगा।
डूमा की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक नोट में, रूसी मंत्रिमंडल ने कहा कि इस दस्तावेज़ की स्वीकारोक्ति से दोनों देशों के हवाई क्षेत्र का आपसी इस्तेमाल आसान होगा और रूसी तथा भारतीय युद्धपोतों के लिए ‘पोर्ट कॉल' भी आसान हो जाएगी। इसके अलावा, यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मज़बूत करेगा। दोनों देशों के बीच पुष्टि के दस्तावेजों के आदान-प्रदान के बाद यह अहम सैन्य समझौता लागू होगा।