भारत को विश्व की शीर्ष नौसैन्य शक्तियों में शामिल होने का लक्ष्य रखना चाहिए: राजनाथ

Edited By Pardeep,Updated: 24 Jun, 2021 09:39 PM

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड'' के तहत यहां विकसित किया जा रहा नौसेना अड्डा एशिया में सबसे बड़ा होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसके लिए वह

कारवारः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड' के तहत यहां विकसित किया जा रहा नौसेना अड्डा एशिया में सबसे बड़ा होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसके लिए वह बजट आवंटन बढ़ाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य अगले 10-12 वर्षों में विश्व की तीन शीर्ष नौसेना में शामिल होने का होना चाहिए। सिंह ने कहा, ‘‘प्रोजेक्ट सीबर्ड का दौरा करने से पहले इसे देखने और समझने की मुझे उत्सुकता थी...मैं कारवार को बहुत करीब से देख कर खुश हूं और कह सकता हूं कि इस नौसेना अड्डे ने मेरे विश्वास को बढ़ा दिया है। '' 

उन्होंने नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के पूरी हो जाने पर न सिर्फ भारत की रक्षा तैयारियां मजबूत होंगी, बल्कि देश का व्यापार, अर्थव्यवस्था और उसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली मानवीय सहायता भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह कहा जा रहा है कि यह भारत का सबसे बड़ा नौसना अड्डा होगा, लेकिन मैंने कहा है कि न सिर्फ भारत का, बल्कि हमारी इच्छा यह है कि इसे एशिया का सबसे बड़ा नौसेना अड्डा होना चाहिए तथा मैं इसके लिए जरूरत पड़ने पर बजट आवंटन बढ़ाने का प्रयास करूंगा।'' 

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ सिंह ने परियोजना क्षेत्र और स्थलों का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद वह यहां आईएनएस कदम्ब हेलीपैड पहुंचे। रक्षा मंत्री ने परियोजना के हवाई सर्वेक्षण के दौरान कहा कि इस नौसेना अड्डे का भविष्य बहुत उज्ज्वल है और इसका श्रेय अधिकारियों तथा नाविकों को जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने देश की प्रथम सीलिफ्ट सुविधा को भी देखा, जो पूर्व की तुलना में हमारे रखरखाव कार्य को बेहतर करेगा...इसलिए मेरा कहना है कि यह नौसेना अड्डा शेष से अलग है।'' 

सिंह ने भारत की शक्ति के बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारत अब विश्व की पांच बड़ी नौसैनिक शक्तियों में शामिल हैं , हमें इसे अगले 10 या 12 वर्षों में शीर्ष तीन में पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय नौसेना का असीम योगदान है। 

उन्होंने कहा कि न सिर्फ वह, बल्कि सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखने वालों का भी विचार है कि नौसेना भविष्य में देश की सुरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने गोवा की स्वतंत्रता और भारत-पाकिस्तान युद्धों में नौसेना द्वारा निभाई गई भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि राजनयिक संबंधों को बेहतर करने में नौसेना की भूमिका रही है।

साथ ही, उन्होंने कोविड महामारी के दौरान इसके द्वारा दी गई सेवाओं को भी याद किया, जिसकी अन्य देशों ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा , ‘‘कुछ देश आपके चलते ही हमारे करीब आए हैं।'' उन्होंने कहा कि नौसेना ने देश के वैश्विक हितों की भी रक्षा की है। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमें भविष्य के लिए तैयार होना होगा, हमें अपनी ताकत और क्षमता बढ़ानी होगी।'' 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के विषय पर सिंह ने कहा कि पूंजीगत खरीद बजट का 64 प्रतिशत सिर्फ घरेलू खरीद के लिए होगा और रक्षा खरीद प्रक्रिया में कई बदलाव किये गये हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का निर्माण जल्द पूरा होने की उम्मीद है और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में इसे नौसेना बेड़े में शामिल किये जाने की संभावना है। रक्षा मंत्री के स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण की प्रगति का जायजा लेने के लिए कोच्चि का दौरा करने का भी कार्यक्रम है। 

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