साबित करें कि आप भारतीय हैं: इशरत जांच समिति के ब्यौरे का खुलासा करने से पहले गृह मंत्रालय ने कहा

Edited By ,Updated: 15 Jun, 2016 05:15 PM

ishrat jahan fake encounter

एक असामान्य घटना में गृह मंत्रालय ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले से जुड़ी गुमशुदा फाइलों से....

नई दिल्ली: एक असामान्य घटना में गृह मंत्रालय ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले से जुड़ी गुमशुदा फाइलों से संबंधित मामले को देखने वाली एक सदस्यीय समिति का ब्यौरा जाहिर करने से पहले एक आरटीआई याचिकाकर्ता से यह साबित करने को कहा है कि वह भारतीय है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बी के प्रसाद जांच समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। 
 
मंत्रालय में दायर आरटीआई याचिका में समिति की आेर से पेश रिपोर्ट की प्रति के अलावा प्रसाद को दिए गए सेवा विस्तार से जुड़ी फाइल नोटिंग का ब्यौरा मांगा गया था। गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘‘इस संबंध में यह आग्रह किया जाता है कि आप कृपया अपनी भारतीय नागरिकता का सबूत प्रदान करें। ’’ सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत केवल भारतीय नागरिक ही सूचना मांग सकता है। इस पारदर्शिता कानून के तहत आमतौर पर आवेदन करने के लिए नागरिकता के सबूत की जरूरत नहीं पड़ती है। असामान्य मामलों में एक जन सम्पर्क अधिकारी नागरिकता का सबूत मांग सकता है अगर उसे आवेदन करने वाले की नागरिकता को लेकर कोई संदेह हो। 
 
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दूबे ने कहा, ‘‘ यह सरकार की आेर से सूचना के निर्वाध प्रवाह और पारदर्शिता का मार्ग अवरुद्ध करने का तरीका है । भारतीय नागरिकता का सबूत मांगने को हतोत्साहित किए जाने की जरूरत है। एेसा लगता है कि गृह मंत्रालय सूचना देने में देरी करना चाहता है। ’’   जांच समिति की अध्यक्षता करने वाले प्रसाद तमिलनाडु कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें 31 मई को सेवानिवृत होना था। उन्हेंं दो महीने का सेवा विस्तार दिया गया है जो 31 जुलाई तक है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मार्च में संसद में हंगामे के बाद गृह मंत्रालय ने प्रसाद से गुमशुदा फाइलों से जुड़े सम्पूर्ण मामले की जांच करने को कहा था। 
 
19 वर्षीय इशरत जहां और तीन अन्य साल 2004 में गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। गुजरात पुलिस ने तब कहा था कि मारे गए लोग लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी हैं और तत्कालीन मख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करने गुजरात आए थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच समिति को हाल ही में तत्कालीन गृह सचिव जी के पिल्लै द्वारा उस समय के अटार्नी जनरल दिवंगत जी ई वाहनवती को लिखे पत्र की प्रति गृह मंत्रालय के एक कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क से मिली थी। गृह मंत्रालय से गायब कागजातों में एक शपथपत्र भी शामिल है जिसे गुजरात उच्च न्यायालय में 2009 में पेश किया गया था। इसमें दूसरे हलफनामे का मसौदा भी शामिल है जिसमें बदलाव हुआ था। पिल्लै की आेर से वाहनवती को लिखे दो पत्र और मसौदा हलफनामा का अभी तक पता नहीं चला है। 
 

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