Edited By Parminder Kaur,Updated: 23 Mar, 2024 12:51 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कर्नाटक के चलाकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) से "पुष्पक" नामक अपने पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन (आरएलवी) के लिए लैंडिंग मिशन के सफल निष्पादन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
नेशनल डेस्क. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कर्नाटक के चलाकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) से "पुष्पक" नामक अपने पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन (आरएलवी) के लिए लैंडिंग मिशन के सफल निष्पादन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
चलाकेरे रनवे से सुबह लगभग 7 बजे उड़ान भरने वाला यह मिशन 2016 और पिछले साल अप्रैल में सफल मिशनों के बाद आरएलवी के तीसरे लैंडिंग प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। पारंपरिक तरीकों से हटकर लॉन्च वाहन को पूर्व निर्धारित पिलबॉक्स मापदंडों को पूरा करने पर छोड़े जाने से पहले भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा लगभग 4.5 किमी की ऊंचाई तक उठाया गया था।
मिशन के महत्व पर जोर देते हुए इसरो ने अंतरिक्ष में लागत प्रभावी पहुंच को सक्षम करने के उद्देश्य से पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के चल रहे प्रयासों में अपनी अभिन्न भूमिका पर प्रकाश डाला। पंखयुक्त वाहन पुष्पक (आरएलवी-टीडी) ने नाममात्र की स्थिति से मुक्त होने के बाद रनवे पर सटीकता के साथ स्वायत्त लैंडिंग की।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पुष्पक प्रक्षेपण यान के महत्व को रेखांकित किया और इसे अंतरिक्ष पहुंच की सामर्थ्य बढ़ाने की दिशा में भारत का साहसिक कदम बताया। यह संभावित रूप से कक्षा में उपग्रहों को ईंधन भरने या उपग्रहों को नवीनीकृत करने जैसे कार्यों को सुविधाजनक बना सकता है, जिससे अंतरिक्ष मलबे को कम करने में योगदान मिल सकता है।