जयराम रमेश ने कहा- निकोबार परियोजना पर बुनियादी सवालों के जवाब देने में असमर्थ हैं पर्यावरण मंत्री

Edited By Updated: 21 Sep, 2025 02:07 PM

jairam ramesh said the environment minister was unable to answer basic questions

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ग्रेट निकोबार बुनियादी ढांचा परियोजना का विरोध करने के लिए कांग्रेस की आलोचना करने पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि आसन्न ‘‘पारिस्थितिक और मानवीय आपदा' की ओर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ग्रेट निकोबार बुनियादी ढांचा परियोजना का विरोध करने के लिए कांग्रेस की आलोचना करने पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि आसन्न ‘‘पारिस्थितिक और मानवीय आपदा'' की ओर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करना ‘‘नकारात्मक राजनीति'' नहीं है, बल्कि गंभीर चिंता की अभिव्यक्ति है। रमेश ने कहा कि मंत्री उन बुनियादी सवालों का जवाब देने में असमर्थ हैं, जिन्हें कांग्रेस इस परियोजना के संबंध में बार-बार उठा रही है। रमेश ने ‘एक्स' पर कहा ‘‘ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पर ‘नकारात्मक राजनीति' करने का आरोप लगाया है।

आसन्न पारिस्थितिक और मानवीय आपदा की ओर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करना 'नकारात्मक राजनीति' नहीं है। यह गंभीर चिंता की अभिव्यक्ति है।'' उन्होंने कहा कि मंत्री उन बुनियादी सवालों का जवाब देने में असमर्थ हैं, जो कांग्रेस बार-बार इस परियोजना के संबंध में उठा रही है। उन्होंने पूछा कि क्या ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रा परियोजना, जिसके लिए लाखों पेड़ों को हटाने की आवश्यकता है, राष्ट्रीय वन नीति 1988 का उल्लंघन करती है जबकि इस नीति में कहा गया है कि ‘उष्णकटिबंधीय वर्षा/नम वनों, विशेष रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रों को पूरी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए?''

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पुराने वनों के लिए प्रतिपूरक वनरोपण हमेशा एक खराब विकल्प होता है वहीं इस परियोजना में वनरोपण की जो योजना है वह हास्यास्पद है। सुदूर हरियाणा में, जहां पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से अलग है, वनरोपण को ग्रेट निकोबार के विशिष्ट पुराने वर्षावनों के नुकसान की वास्तविक भरपाई कैसे माना जा सकता है? हरियाणा सरकार ने इस भूमि को वनरोपण के लिए आरक्षित करने के बजाय, खनन के लिए पहले ही 25 प्रतिशत भूमि क्यों मुक्त कर दी है?'' उन्होंने पूछा कि निकोबार परियोजना को मंज़ूरी देने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से परामर्श क्यों नहीं किया गया?

जयराम रमेश ने कहा, ‘‘ इस परियोजना के बारे में ग्रेट निकोबार की जनजातीय परिषद की चिंताओं को क्यों नज़रअंदाज़ किया जा रहा है? द्वीप समूह की शोम्पेन नीति, जो स्पष्ट रूप से सभी परियोजनाओं में समुदाय की अखंडता को प्राथमिकता देने का आह्वान करती है, की अवहेलना क्यों की जा रही है?'' उन्होंने बताया कि इस द्वीप पर लैदरबैक कछुए, मेगापॉड, खारे पानी के मगरमच्छ और समृद्ध प्रवाल तंत्र सहित लुप्तप्राय प्रजातियां मौजूद हैं। कांग्रेस नेता ने प्रश्न किया क्या यह परियोजना इन प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर नहीं ले जाएगी?

दरअसल यादव ने पिछले बृहस्पतिवार को ग्रेट निकोबार इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना का विरोध करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा था और उस पर भ्रम फैलाने और "नकारात्मक राजनीति" में लिप्त होने का आरोप लगाया था। यहां ‘पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यादव ने जोर देकर कहा था कि यह विशाल परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक संपर्क के लिए महत्वपूर्ण है। यादव ने यह भी कहा था कि इस परियोजना के लिए ग्रेट निकोबार के केवल 1.78 प्रतिशत वन क्षेत्र का उपयोग किया जाएगा। 

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