AI ने छीन ली सोचने की क्षमता! छोटे बच्चे पल भर में दे रहे जवाब...लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग पर खतरा, एक्सपर्ट्स ने किया बड़ा खुलासा

Edited By Updated: 03 Dec, 2025 06:35 PM

ai took away the ability to think little children are giving answers in a momen

भारत में डिजिटल एजुकेशन के बढ़ते दौर में बच्चे एआई टूल्स का इस्तेमाल इतनी तेजी से कर रहे हैं कि वे अक्सर शिक्षकों से आगे निकल जाते हैं। हाल ही में हुई डिमांडसेज रिपोर्ट 2025 के अनुसार, देश के 86% छात्र पढ़ाई के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि...

नेशनल डेस्क: भारत में डिजिटल एजुकेशन के बढ़ते दौर में बच्चे एआई टूल्स का इस्तेमाल इतनी तेजी से कर रहे हैं कि वे अक्सर शिक्षकों से आगे निकल जाते हैं। हाल ही में हुई डिमांडसेज रिपोर्ट 2025 के अनुसार, देश के 86% छात्र पढ़ाई के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि सिर्फ 60% शिक्षक इसे क्लास में अपनाते हैं।

अवधारणाओं की समझ पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों में यह ट्रेंड सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। एआई से तुरंत जवाब मिलने की आदत के कारण, बच्चे सतही ज्ञान तो जल्दी पा लेते हैं, लेकिन गहरी समझ और क्रिटिकल थिंकिंग कमजोर पड़ रही है। शहरी इलाकों में यह समस्या और भी ज्यादा गम्भीर है।

शिक्षकों की ट्रेनिंग की कमी
एआईपीआरएम सर्वे के अनुसार, 68% शहरी शिक्षक एआई ट्रेनिंग से वंचित हैं, फिर भी मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे महानगरों में 44% बच्चे जेनरेटिव एआई से होमवर्क कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 17% है, लेकिन वहां भी तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में जटिल सवाल शिक्षकों से कम पूछे जा रहे हैं।

बौद्धिक विकास पर खतरा
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि एआई की झटपट सहायता से बच्चों की समस्या-समाधान क्षमता 16.5% तक कम हो गई है। हार्वर्ड जीएसई अध्ययन में पाया गया कि एआई का इस्तेमाल शब्दावली बढ़ाता है, लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग कमजोर पड़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ‘कॉग्निटिव ऑफलोडिंग’ बच्चों को लंबे समय में आईक्यू पर नकारात्मक असर डाल सकती है।

भविष्य के करियर पर असर
AI पर बढ़ती निर्भरता बच्चों के करियर पर भी असर डाल रही है। 2030 तक लगभग 70% जॉब स्किल्स बदलेंगी, लेकिन एआई पर अधिक भरोसा करने वाले बच्चे क्रिएटिविटी और इनोवेशन में पीछे रह जाएंगे। माइक्रोसॉफ्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 72% शिक्षक चिंतित हैं कि इससे प्लेजरिज्म बढ़ेगा, जो नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा कमजोर करेगा।

शहरी क्षेत्रों में अधिक निर्भरता
मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और बैंगलोर में 44% बच्चे एआई पर ज्यादा निर्भर हैं। AIIPRM डेटा के अनुसार, इन शहरों के 21% उपनगरीय स्कूलों में एआई का उपयोग रिकॉर्ड किया गया है। तिरुचिरापल्ली जैसे दक्षिणी शहरों में भी 38% वृद्धि देखी गई। परिणामस्वरूप, अंग्रेजी व्याकरण और विज्ञान प्रयोगों पर सवालों की संख्या लगभग 30% कम हो गई है।

IQ और कॉन्सेप्ट समझ पर प्रभाव
स्टैनफोर्ड रिसर्च बताती है कि एआई से टेस्ट स्कोर 15% बढ़ते हैं, लेकिन अवधारणाओं की समझ 16.5% गिरती है। एमआईटी अध्ययन में मापा गया कि एआई पर निर्भरता से मेरी स्मृति क्षमता 20% तक घट रही है, जिससे IQ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

 

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