PM मोदी से नहीं येद्दियुरप्पा से है मुकाबला: सिद्दारामैया

Edited By Anil dev,Updated: 07 May, 2018 03:14 PM

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारामैया ने आज कहा कि विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येद्दियुरप्पा से है। सिद्दारामैया ने एक ट्वीट में कांग्रेस पार्टी के...

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारामैया ने आज कहा कि विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येद्दियुरप्पा से है। सिद्दारामैया ने एक ट्वीट में कांग्रेस पार्टी के पांच वर्षों के कार्यकाल पर श्री येद्दियुरप्पा के साथ खुली बहस की मांग की और मोदी को बहस के समय उपस्थित रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस उत्तेजना के साथ श्री मोदी 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं वह केवल गर्म हवा है उसमें कोई तत्व नहीं है। उन्होंने कहा, Þमेरा मुकाबला उनसे नहीं येद्दियुरप्पा से है। मोदी अपने Þबिना मुद्दों के आडंबरपूर्ण भाषणÞ से राज्य के पांच करोड़ मतदाताओं को भ्रमित कर रहे हैं। सिद्दारामैया ने कहा कि येद्दियुरप्पा पांच कारण बताएं कि लोग उन्हें अपना वोट क्यों दें और वह ऐसे पांच कारण बतायेंगे कि राज्य के मतदाताओं को अपना मत उन्हें क्यों नहीं देना चाहिए। कर्नाटक की जनता राजनीतिक रूप से परिपक्व है। उन्हें विश्वास है कि लोग एक बार फिर से भारी बहुमत से कांग्रेस को सत्तासीन करेगी।

सिद्दारामैया ने पांच कारण इस प्रकार गिनाए हैं: पहला, भाजपा ने वर्ष 2008-2013 के बीच कर्नाटक के इतिहास में सबसे भ्रष्ट सरकार चलायी जिसके मुख्यमंत्री और पांच मंत्रियों को जेल जाना पड़ा।  दूसरा कारण भाजपा ने पांच वर्ष के अपने शासनकाल में तीन मुख्यमंत्री बदले और अस्थिर सरकार चलायी। ‘ऑपरेशन कमला’ के तहत विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई। चुनाव पूर्व किए गए ज्यादातर सर्वेक्षणों में भाजपा को बहुमत से कम सीटें मिलती दिखायी हैं। कर्नाटक के लोग राज्य को फिर से वर्ष 2008 की स्थिति में नहीं जाने देंगे।  तीसरा, भाजपा स्वतंत्रता को कोई समान नहीं देती। अगर वह सत्ता में आई तो पोशाक संहिता, भोजन संहिता और आप किससे प्यार कर सकते हैं की संहिता लागू करेगी। इन सभी से बढ़कर वह कन्नड़ पर हिंदी को थोपेंगी। चौथा, भाजपा की शांति के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं है। अगर वह सत्ता में आई तो वह सांप्रदायिक तत्वों को सड़कों पर छोड़ देगी। चर्च और पबों पर हमले एक बार फिर से लौट आएंगे। गौ रक्षक दल सड़कों पर उतरेंगे। यह न तो जीवन के लिए अच्छा होगा और न ही व्यापार के लिए। कारोबार में परेशानी होने से नौकरियां भी नहीं रहेंगी। पांचवां और अंतिम कारण भाजपा अपने किए वायदों को पूरा नहीं करती। 

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