22 साल की कश्मीरी लड़की सालिहा शब्बीर का नाम इंडिया वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज, जानिए क्यों

Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Apr, 2021 02:06 PM

kashmiri girl soliha shabir name recorded in india world record

जम्मू कश्मीर की पहली और सबसे छोटी (22) साल की कवियित्री सालिहा शब्बीर का नाम इंडिया वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ है। डल झील के किनारे रहने वाली सालिहा उन गिने-चुने लेखकों, साहित्यकारों और कवियों में से एक है जो ''हब्बा खातून'' के बारे में लिखती है।...

नेशनल डेस्क: जम्मू कश्मीर की पहली और सबसे छोटी (22) साल की कवियित्री सालिहा शब्बीर का नाम इंडिया वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ है। डल झील के किनारे रहने वाली सालिहा उन गिने-चुने लेखकों, साहित्यकारों और कवियों में से एक है जो 'हब्बा खातून' के बारे में लिखती है। हब्बा खातून के बारे में कविताएं, गीत और तीन कविता संग्रह लिखने के चलते ही सालिहा का नाम इंडिया वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है। अंग्रेजी में MA लिटरेचर की छात्रा सालिहा के तीन कविता संग्रह- इन द लान ऑफ डार्क, ओबसलीट-द पोयम मार्किट तथा जून द हार्ट ऑफ हब्बा खातून प्रकाशित हो चुके हैं। सालिहा जब नौंवी क्लास मे थीं वह तब से ही कविताएं लिख रही है।

 

सालिहा ने कहा कि जब वो बहुत छोटी थी तब घर में अक्सर उन महिलाओं का जिक्र होता था जो ससुराल वालों से प्रताड़ित होती थीं। उस समय घरवाले उस प्रताड़ित महिला की तारीफ करते हुए कहते थे कि वो तो 'हब्बा खातून' है। सालिहा ने कहा कि उस समय तो 'हब्बा खातून' का मतलब नहीं पता था लेकिन उसके प्रति इतनी जिज्ञासा हुई कि उसके बारे में पढ़ना शुरू किया। सालिहा ने कहा कि उसकी सभी कविताएं हब्बा खातून की रचनाओं से प्रभावित जरूर है लेकिन उन्होंने उनका अनुवाद नहीं किया है बल्कि जितनी भी कविताएं लिखी हैं वो उनकी अपनी मूल रचनाएं हैं।


कौन थी हब्बा खातून
हब्बा खातून (1553-1605) कश्मीर के साहित्य और लोक जीवन में अपनी रचनाओं को लेकर काफी लोकप्रिय हैं। वह बला की खूबसूरत थीं और उनका असली नाम जून था। पांपोर में जन्मी हब्बा की शादी एक किसान से हुई थी लेकिन उनके ससुराल वाले उन पर काफी जुल्म करती थी। चुपचार सुसराल के जुल्म सहने वाली हब्बा अपना सारा दर्द और वेदना कविताओं और गीतों में पिरो देती थी। कहते हैं कि उनकी सुरीली आवाज में गाना सुनकर कश्मीर के बादशाह यूसुफ शाह चक उन पर मोहित हो गए और उन्होंने हब्बा को अपनी रानी बना लिया।

 

बादशाह के प्यार ने हब्बा के पुराने सारे जख्म भर दिए और उन्होंने रानी बनने के बाद जो कविताएं लिखीं उनको पढ़कर यह बात साफ झलकती है कि बादशाह यूसुफ उससे कितना प्रेम करते थे। लेकिन हब्बा जिंदगी में अभी एक और दर्द बाकी था। मुगल बादशाह अकबर ने उन्ही दिनों कश्मीर पर हमला कर दिया और बादशाह युसूफ को बंदी बना लिया। बादशाह अकबर यूसुफ को पहले दिल्ली और फिर बिहार ले गए। युसूफ की जुदाई से हब्बा काफी आहत हुई। यूसुफ से जुदाई और उससे फिर मिलने की आस में हब्बा ने कई दर्दभरे गीत लिखे जो लोगों के बीच खासे पंसद किए जाते हैं।

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