किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर बवाल में दिल्ली पुलिस का एक्शन, दंगा समेत कई धाराओं में FIR

Edited By Yaspal,Updated: 30 Nov, 2020 11:30 PM

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केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर सोमवार को लगातार पांचवें दिन भी जमे हैं। दिल्ली में एंट्री के तीन रास्तों पर हजारों किसान डेरा डालकर बैठे हैं और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने पर अड़े हुए हैं। सरकार ने जिस बुराड़ी मैदान को...

नेशनल डेस्कः केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर सोमवार को लगातार पांचवें दिन भी जमे हैं। दिल्ली में एंट्री के तीन रास्तों पर हजारों किसान डेरा डालकर बैठे हैं और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने पर अड़े हुए हैं। सरकार ने जिस बुराड़ी मैदान को किसानों के लिए आरक्षित किया था वो इन किसानों को ओपन जेल जैसा लग रहा है जो किसान वहां पहुंचे थे वो अब वापस लौट रहे हैं।

इस बीच, किसान आंदोलन के दौरान सिंघु बॉर्डर पर हुए बवाल को लेकर दिल्ली पुलिस ने दंगा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। अलीपुर पुलिस थाने में ये एफआईआर दर्ज हुई है। यह एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है। दिल्ली पुलिस ने धारा 186, 353, 332, 323, 147, 148, 149, 279, 337, 188, 269 और 3 PDPP एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

सिंघु बॉर्डर पर 27 नवंबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश की थी। इस दौरान पुलिस पर पथराव हुए थे। सरकारी संपत्ति को नुकसान भी पहुंचा था. पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए आंसू गैस और बल का प्रयोग किया था। इस बवाल के दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 3-4 पुलिसकर्मियों को चोट लगी थी। एक सब इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह के हाथ पर तलवार से भी हमला हुआ था।

सिंघु और टिकरी बॉर्डर बंद
फिलहाल, सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पूरी तरह बंद है। गाजियाबाद बॉर्डर पर भी भारी संख्या में किसान डेरा-डंडा गाड़े बैठे हैं। सिंघु बॉर्डर पर किसानों की तादाद 2 से 3 हजार है। टिकरी बॉर्डर पर 1500 किसान जमे हुए हैं जबकि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर इनकी संख्या 1000 के करीब है। किसानों की संख्या घटती बढ़ती रहती है। बैरिकेंडिंग के दूसरी तरफ पुलिस भी पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद है।

क्या है किसानों की मांग 
किसानों की दो मांग हैं. पहली ये कि उनकी बात सुनी जाए और उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर तक जाने दिया जाए। दूसरी मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर है। बहरहाल, किसानों ने मन बना लिया है कि लड़ाई लंबी चले तो भी पीछे नहीं हटेंगे। अन्नदाता पूरी तैयारी से जुटे हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली घर बन गया है। सड़क पर लंगर लग गए हैं, किसान शिफ्ट में धरना दे रहे हैं- एक दल धरने पर बैठता है तो दूसरा दल खाने-पीने के समान की व्यवस्था करता है। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।

 

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