जानिए उन महान शख्सियतों के बारे में जिन्होंने किसी वजह से लौटा दिए अपने सम्मान चिन्ह

Edited By ,Updated: 18 Oct, 2015 03:10 AM

learn about those greats who for some reason returned their honor marks

हाल ही में दादरी के एक मुस्लिम परिवार पर हुए सांप्रदायिक हमले के विरोध में सहित्कारों में भी भारी रोष है, इसके विरोध में कई सहित्यकारों ने अपना पुरस्कार वापस लौटा दिया है त

जालंधर: हाल ही में दादरी के एक मुस्लिम परिवार पर हुए सांप्रदायिक हमले के विरोध में सहित्कारों में भी भारी रोष है, इसके विरोध में कई सहित्यकारों ने अपना पुरस्कार वापस लौटा दिया है तथा कुछ लौटाने की तैयारी कर रहे है। गौरतलब है कि दादरी में सांप्रदायिक हिंसा के कारण देशभर से विरोध के स्वर उठ रहे है।

बता दे कि यह पहली बार नहीं है कि सहित्यकार अपने पुरस्कार वापस लौटा रहे है इससे पहले भी कई महान शख्सियतों ने अपने पुरस्कारों को किसी न किसी वजह से वापस लौटाए थे आईए जानते है उन विशिष्ठ लोगों के बारे में जिन्होंने अपने पुरस्कार वापस लौटाए...
 
 
1. रवीन्द्रनाथ टैगोर
एशिया में सबसे पहले रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला था. साहित्य के क्षेत्र में योगदान और अपने विचार एवं दर्शन से लोगों को संदेश देने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर को ब्रिटिश सरकार ने नाइट हुड की उपाधि भी दी थी लेकिन साल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने ये उपाधि वापिस लौटा दी थी।
 
2. खुशवंत सिंह
पत्रकार और लेखक रहे खुशवंत सिंह को 1974 में पद्म भूषण ने नवाज़ा गया था लेकिन स्वर्ण मंदिर पर केंद्र सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में सिंह ने यह पुरस्कार सरकार को वापिस लौटा दिया।
 
3. सितारा देवी
कथक से अपने इशारों पर अपने फैन्स के दिलों को नचाने वाली सितारा देवी के नृत्य से कौन वाकिफ नहीं है। सितारा देवी 8 साल से 90 साल की होने तक नृत्य करती रही। इनके कथक में एक रूहानी जादू था जो कलाकारों के लिए भी एक सीख था। उन्होंने मदर इंडिया और वतन जैसे फिल्मों में काम किया है। सितारा देवी को 1973 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने इसे लौटा दिया क्योंकि उनकी उम्मीद भारत रत्न लेने की थी।
 
4. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने उसे यह कह कर ठुकरा दिया कि जो लोग ख़ुद पुरस्कृत होने वाले लोगों का चयन करते हैं, उन्हें ख़ुद ये पुरस्कार नहीं लेना चाहिए।

5. उस्ताद विलायत खान
उस्ताद विलायत खान ने सितार के क्षेत्र में भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमका दिया। इनकी पिछली कई पुश्तें सितार वादन से जुड़ी रही हैं। साल 1964 में पद्मश्री और साल 1968 में पद्म विभूषण इन्होंने यह कह कर ठुकरा दिया कि, चयन समिति में संगीत के बारे में जरा भी जानकारी रखने वाले लोग नहीं हैं।
 
6. दत्तोंपन्त ठेंगडी
भारत के राष्ट्रवादी ट्रेड यूनियन के नेता एवं भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक रहे दत्तोंपन्त ठेंगडी ने 2003 में पुरस्कार को ले कर अनिष्पक्षता और कला की उपेक्षा के चलते पद्म विभूषण पुरस्कार ठुकरा दिया।
 
7. सलीम खान
हाल ही में भारतीय सिनेमा जगत के मशहूर पटकथा लेखक सलीम खान ने पद्मश्री सम्मान लेने से इंकार कर दिया। गृह मंत्रालय से उनको पद्मश्री सम्मान संबंधी कॉल किया जिस पर उन्होंने यहा कह कर मना कर दिया कि यह सम्मान मेरे मान की नहीं, बल्कि अपमान की बात जरूर है।

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