बड़े बजट की फिल्में फ्लॉप होने से कई मल्टीप्लैक्स और सिंगल-स्क्रीन थिएटर अस्थाई तौर पर बंद

Edited By Mahima,Updated: 08 May, 2024 11:28 AM

many multiplexes and single screen theaters

त्योहार के मौके पर रिलीज हुईं बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गईं, जिससे सिनेमा उद्योग को इसकी मार झेलनी पड़ी है।

नेशनल डेस्क: त्योहार के मौके पर रिलीज हुईं बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गईं, जिससे सिनेमा उद्योग को इसकी मार झेलनी पड़ी है। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि फिल्मों की उत्सुकता बढ़ाने वाली लाइन-अप की कमी और  बड़े बजट की फिल्मों के खराब प्रदर्शन ने मल्टीप्लैक्स और सिंगल-स्क्रीन थिएटरों को अस्थाई तौर पर बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है।

ट्रेड विश्लेषकों के विभिन्न अनुमानों के अनुसार पांच स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स में दो से तीन स्क्रीन, या पांच से छह ऑडिटोरियम वाले सिंगल स्क्रीन थिएटर को खराब व्यवसाय और उन्हें चलाने से जुड़े बड़े खर्चों के कारण अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। मल्टीप्लेक्स के प्रबंधकों का कहना है कि महामारी के बाद किराये और सीएएम शुल्क में वृद्धि हुई है। इससे स्क्रीन चलाने की लागत बढ़ गई है। महामारी से पहले हम थिएटर-मालिकों को प्रति स्क्रीन उत्पन्न राजस्व का औसतन 15% भुगतान करते थे। यह औसत बढ़कर 20% हो गया। इसलिए हिंदी फिल्मों का खराब प्रदर्शन स्क्रीन को अस्थायी रूप से बंद करने का एक प्रमुख कारण है।

सिंगल-स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स की कलेक्शन में बड़ी गिरावट
ट्रेड विश्लेषकों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि  बड़े मियां छोटे मियां 350 करोड़ रुपये के बजट पर बनी है। पिछले तीन हफ्तों में इसने 48.50 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है। मैदान, जिसका बजट 250 करोड़ रुपये था, ने इसी अवधि में 40 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है। सिंगल-स्क्रीन थिएटर और मल्टीप्लेक्स बहुत कम कलेक्शन से जूझ रहे हैं। स्वतंत्र फिल्म वितरक और व्यापार विश्लेषक शमिंदर मलिक ने कहा, "ऐसे थिएटर हैं जिनमें 170-250 लोग ही आते हैं।" “आगरा, बरेली, कानपुर और लखनऊ में सिंगल-स्क्रीन थिएटरों ने अपने टिकट की कीमतें 30-70 रुपये तक कम कर दी हैं। फिर भी, दर्शकों की संख्या में कोई सुधार नहीं हुआ है।”

क्या कहते है सिनेमाघरों के मालिक
बिहार के सिनेमाघर मालिक विशेक चौहान के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि जब कोई फिल्म हाउसफुल चलती है तो कमाई होती है। लगभग 90 प्रतिशत कारोबार मंदा है। यह साल पूरी तरह बर्बाद हो गया। इसके खिलाफ सिनेमाघर संचालकों में निराशा है। सिनेमा हॉल चलाने का खर्च करीब 30,000 रुपये प्रतिदिन आता है। हमें रोजाना कम से कम एक लाख रुपये के कारोबार की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में बिक्री 5,000 रुपये से 15,000 रुपये तक की ही हो रही है, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्थिति क्या होगी। 

 

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