Edited By Anil dev,Updated: 21 Nov, 2020 03:08 PM
दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत के सिलसिले में शनिवार को उनसे पूछा कि क्या दोनों के बीच समझौते की कोई गुंजाइश है। रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने बीस वर्ष पहले...
नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत के सिलसिले में शनिवार को उनसे पूछा कि क्या दोनों के बीच समझौते की कोई गुंजाइश है। रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने बीस वर्ष पहले पत्रकार रहने के दौरान उनके साथ यौन कदाचार किया था। जिसके बाद अकबर ने रमानी के खिलाफ कथित मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई। ‘मीटू' अभियान के दौरान 2018 में अकबर पर लगाए आरोपों के बारे में रमानी ने कहा था कि ये उनकी सच्चाई है और इन्हें लोकहित में वह सामने लाई हैं। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) रवींद्र कुमार पांडेय ने शनिवार को मामले में नये सिरे से अंतिम दलीलें सुननी शुरू कीं और यह सवाल पूछा।
दरअसल उनके पहले जो न्यायाधीश इस मामले में सुनवाई कर रहे थे उनका बुधवार को दूसरी अदालत में तबादला हो गया, इसलिए पांडेय मामले में नए सिरे से अंतिम दलीलें सुन रहे हैं। अकबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर फैसला लेने से पहले अपने मुवक्किल से बात करने के लिए समय चाहिए। रमानी की ओर से वकील भावुक चौहान ने कहा कि किसी तरह की सुलह की बहुत कम गुंजाइश है क्योंकि मामले के तथ्य अजीब हैं। अदालत ने दोनों पक्षों से समझौते के बिंदु पर जवाब देने को तथा 24 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने को कहा। इससे पहले न्यायाधीश एसीएमएम विशाल पाहूजा ने इस साल सात फरवरी को मामले में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू की थी।
अकबर ने 15 अक्टूबर, 2018 को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी। उन्होंने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। अकबर ने पहले अदालत में कहा था कि रमानी ने उनके लिए ‘मीडिया का सबसे बड़ा शिकारी' जैसे विशेषणों का इस्तेमाल करके उनकी मानहानि की, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। अकबर ने अपने खिलाफ चलाये गए ‘मीटू' अभियान के दौरान कुछ महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज किया है।