Edited By Anil dev,Updated: 02 Feb, 2021 12:19 PM
किसानों के विरोध स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसको देखते हुए दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस लगातार सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाती जा रही है। यहां कटीली तारें, बैरिकेडिंग, दीवार, खाई खोदने से लेकर नुकीले...
नेशनल डेस्क; कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन स्थलों के निकट पुलिस द्वारा सीमेंट एवं कंटीले तार के अवरोधक बनाए जाने को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसे दीवार की बजाय पुल बनवाना चाहिए। उन्होंने किसानों के आंदोलन स्थलों के निकट अवरोधक बनाए जाने से जुड़ी तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘भारत सरकार, पुल बनाइए, दीवार नहीं।''
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी इसी विषय को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री जी, अपने किसानों से ही युद्ध?'' उन्होंने यह वीडियो दिखाकर यह जताने का प्रयास किया है कि दिल्ली पुलिस किसी युद्घ की तैयारी कर रही है।
सिंघू बार्डर पर सीमेंट के अवरोधों में लोहे की छड़ें लगायी गईं
आपकों बतां दे कि किसानों के प्रदर्शन के मुख्य स्थल सिंघू बार्डर पर पुलिसकर्मियों के निरीक्षण में श्रमिक सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगाते हुए देखे गये ताकि नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की आवाजाही सीमित की जा सके। इस दिल्ली- हरियाणा बार्डर का एक अन्य हिस्सा अब एक प्रकार से बंद कर दिया गया क्योंकि सीमेंट की अस्थायी दीवार खड़ी कर दी गयी है। सीमेंट के दो अवरोधकों के बीच लोहे की छड़ लगा रहे एक श्रमिक ने कहा, दूसरा हिस्सा कल तैयार कर दिया गया था। इस तरफ अस्थायी दीवार बनाने के लिए अवरोधकों के बीच सीमेंट डाला जाना है।
हिंसक झड़प के कुछ दिन बाद यह कदम उठाया गया
यहां 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच हिंसक झड़प के कुछ दिन बाद यह कदम उठाया गया है। सिंघू बार्डर पर हाल ही में किसानों और स्थानीय होने का दावा कर रहे कुछ लोगों के बीच झड़प हुई थी। यह बार्डर 60 से अधिक दिनों से किसान प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है। सोमवार को सिंघू बार्डर पर दिल्ली की तरफ कम प्रदर्शनकारी नजर आये लेकिन हरियाणा की तरफ उनकी बड़ी तादाद थी, नये कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार भाषण दिये जा रहे थे और इस आंदोलन के प्रति एकजुटता का आह्वान किया जा रहा था। पिछले कुछ दिनों की तुलना में आरएएफ और सीआरपीएफ समेत अर्धसैनिकल बलों के जवान सोमवार को कम थे लेकिन पुलिसकर्मियों की अच्छी खासी तादाद थी।