इंजीनियरिंग कोर्स की फीस भरने के लिए मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हुई एक लड़की

Edited By Anil dev,Updated: 11 Feb, 2021 05:38 PM

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कोई भी काम छोटा या बेकार नहीं होता, यह कहना है ओडिशा की एक इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक 22 वर्षीय छात्रा लोजी बेहेरा का, जिसने कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसा कमाने के वास्ते मनरेगा योजना के तहत एक मजदूर के रूप में काम किया। एक गरीब दलित परिवार में पैदा...

नेशनल डेस्क: कोई भी काम छोटा या बेकार नहीं होता, यह कहना है ओडिशा की एक इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक 22 वर्षीय छात्रा लोजी बेहेरा का, जिसने कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसा कमाने के वास्ते मनरेगा योजना के तहत एक मजदूर के रूप में काम किया। एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुई बेहेरा ने पुरी के देलांग प्रखंड में निर्माण स्थल पर 20 दिनों तक 207 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी पर काम किया, क्योंकि वह कॉलेज की फीस भरने और अपना डिप्लोमा प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए पैसा इक्ट्टा करना चाहती थी। कॉलेज ने उसे शुल्क का बकाया राशि चुकाने के लिए कहा था। 

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भुवनेश्वर स्थित एक निजी कॉलेज की छात्रा की दुखद स्थिति को पहली बार एक स्थानीय समाचार चैनल ने रिपोर्ट किया जब वह सड़क निर्माण स्थल पर मिट्टी ढो रही थी। उसकी कहानी जल्द ही सूर्खियों में आ गई, जिसके बाद जिले के अधिकारी मदद के लिए उसके पास पहुंचे। कुछ ही समय बाद, कॉलेज प्रशासन प्रमाण पत्र के साथ उसके घर पर पहुंचा। एक राजमिस्त्री की बेटी बेहेरा ने पीटीआई-भाषा से कहा, जो काम मैं कर रही थी, उसके लिए मुझे कभी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई। कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगा होगा, लेकिन मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि मुझे शर्म क्यों आनी चाहिए। मैंने सामुदायिक सड़क विकास परियोजना के लिए काम किया और 207 रुपये प्रति दिन कमाए। 22 वर्षीय लड़की के साथ उसकी दो बहनें भी निर्माण स्थल पर काम कर रही थी, जिनमें से एक बीटेक की पढ़ाई कर रही है। लड़की पांच बहनें हैं। 

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छात्रा ने कहा, मुझे अपने कॉलेज की फीस का भुगतान करने के लिए पैसे की जरुरत थी। इसके रूप में पैसे कमाने का एक अच्छा अवसर मिला। मेरे कॉलेज के अधिकारियों ने मुझे 44,500 रुपये के छात्रावास शुल्क का भुगतान नहीं करने पर मेरा प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था। मेरे पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। हम पांच बहनें हैं.... मैं केवल 20,000 रुपये जमा कर सकी थी। सत्तारूढ़ बीजद की सामाजिक सेवा शाखा ओडिशा मो परिवार के सदस्यों ने हाल ही में लड़की को उसकी शिक्षा के लिए 30,000 रुपये का चेक सौंपा है। बेहेरा की मेहनत और लगन के लिए उसकी प्रशंसा करते हुए, पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने कहा कि वह उसे जिले में नौकरी दिलाने की कोशिश करेंगे। सभी बहनों में सबसे बड़ी बेहेरा ने कहा कि वह अपनी बहनों की शिक्षा में मदद करना चाहती है। उसने कहा, पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने मुझे नौकरी दिलवाने में मदद करने का वादा किया है। मुझे उम्मीद है कि मैं नौकरी पाने के बाद अपने परिवार की सहायता कर सकूंगी।

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