नीतीश का इस्तीफा, कांग्रेस को भी ले डूबे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 07:50 PM

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए।

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए छापों के बाद पैदा हुई स्थिती और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होने वाला है। 

कांग्रेस ने नीतीश और लालू के समर्थन से बड़ी मुश्किल के साथ बिहार विधानसभा में दहाई का आंकड़ा पार किया था लेकिन मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के सामने बिहार के सामने एक बार फिर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। यही कारण है कि लालू और नीतीश के टकराव को टालने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने खुद पिछले दो हफ्ते में तमाम प्रयास किए लेकिन ये प्रयास सफल नहीं हुए। PunjabKesari

कांग्रेस को 2005 के चुनाव में मिली थी 9 सीटें 
कांग्रेस को 2005 के चुनाव में 9 सीटें मिली थी जो 2010 में कम होकर 4 सीटों तक सिमट गई। 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने जदयू और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा जिससे कांग्रेस को 27 सीटें हासिल हुई। इससे पहले कांग्रेस को संयुक्त बिहार के 1995 में हुए चुनाव के समय 29 सीटें हासिल हुई थी। इस लिहाज से कांग्रेस का ये 22 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। पार्टी 2000 के चुनाव में 23 सीटें ही हासिल कर सकी थी। पार्टी की रणनीतिकारों को अब ये चिंता सता रही थी कि यदि बिहार में गठबंधन टूटा तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान होगा पार्टी को इस बात की भी चिंता है कि बिहार का ये संदेश 2019 तक पूरे देश में पहुंच जाएगा और पार्टी की अगले लोकसभा चुुनाव की तैयारियों को भी इसका झटका लगेगा।
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