Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Dec, 2025 01:03 PM

राजस्थान के उदयपुर जिले में करीब ढाई साल पहले हुए उस जघन्य हत्याकांड का न्याय आखिर मिल गया है जिसने पूरे देश को सन्न कर दिया था। नवंबर 2022 की इस वीभत्स घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अप्रैल 2025 में आरोपी तांत्रिक भालेश को उम्रकैद (Life...
नेशनल डेस्क। राजस्थान के उदयपुर जिले में करीब ढाई साल पहले हुए उस जघन्य हत्याकांड का न्याय आखिर मिल गया है जिसने पूरे देश को सन्न कर दिया था। नवंबर 2022 की इस वीभत्स घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अप्रैल 2025 में आरोपी तांत्रिक भालेश को उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा सुनाई है। अंधविश्वास, अवैध संबंध और क्रूरता के इस मिश्रण वाले मामले ने न्यायपालिका को भी सख्त टिप्पणी करने पर मजबूर कर दिया।
क्या था पूरा मामला?
यह खौफनाक मामला उदयपुर के गोगुंदा थाना क्षेत्र के जंगलों से शुरू हुआ था। वहां एक सरकारी स्कूल के शिक्षक राहुल और एक महिला सोनू के नग्न और क्षत-विक्षत शव मिले थे। पुलिस जांच में जब तांत्रिक भालेश की गिरफ्तारी हुई तो हत्या के पीछे की साजिश सुनकर हर कोई दंग रह गया। पुलिस के अनुसार तांत्रिक भालेश का सोनू के साथ पिछले पांच वर्षों से संबंध था। जब सोनू शिक्षक राहुल के संपर्क में आई तो भालेश को जलन होने लगी। उसने दोनों को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का मन बना लिया।
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क्रूरता की पराकाष्ठा: फेविक्विक का इस्तेमाल
तांत्रिक ने हत्या के लिए जो तरीका अपनाया वह अपराध जगत के इतिहास में सबसे वीभत्स माना जाता है। भालेश ने राहुल और सोनू को सुलह करने के बहाने जंगल में बुलाया। वहां उसने दोनों को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाया। जैसे ही वे करीब आए भालेश ने अपने झोले से फेविक्विक (Super Glue) की बड़ी बोतल निकाली और दोनों के शरीर पर उड़ेल दी। दोनों के शरीर बुरी तरह एक-दूसरे से चिपक गए और वे असहाय हो गए। उसी स्थिति में भालेश ने चाकू और पत्थरों से हमला कर उन पर ताबड़तोड़ वार किए और उनकी जान ले ली।
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कोर्ट का फैसला और सख्त टिप्पणी
अप्रैल 2025 में इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाते हुए अदालत ने अपराधी के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई। आरोपी तांत्रिक भालेश को उम्रकैद की सजा के साथ-साथ चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। सजा सुनाते समय जज ने कहा कि इस तरह की दरिंदगी और क्रूरता समाज के लिए कलंक है। ऐसी वीभत्स घटना को अंजाम देने वाला व्यक्ति किसी भी दया का पात्र नहीं है।
यह फैसला समाज में एक कड़ा संदेश देता है कि कानून की नजर से कोई अपराधी बच नहीं सकता चाहे वह अंधविश्वास या किसी भी अन्य आड़ में अपराध क्यों न करे।